पथरगामा पैक्स में धान बीज वितरण में हो रही है घपलाबाजी से किसानों में आक्रोश

in #godda2 years ago

शशि भगत
पथरगामा
गोड्डा जिले के पथरगामा पैक्स के द्वारा किसानों के बीच अनुदानित धान बीज वितरण में निर्धारित मूल्य से अधिक पैसा लिए जाने का मामला सामने आया है।इस बाबत किसान मनोहर कुमार महतो सहित कई किसानों ने बताया कि 475 में 25 किलो के धान बीज का पैकेट दिया जा रहा है।रजिस्टर्ड किए हुए किसानों से बिना किसी प्रमाण पत्र लिए धान बीज का 25 किलो के पैकेट का मूल्य 475 लिया जा रहा है और पावती रसीद भी नहीं दिया जा रहा है।वहीं सबसे गैर संवैधानिक बात यह बताई जा रही है कि पथरगामा पैक्स के पूर्व अध्यक्ष संजय कुमार भगत के द्वारा धान बीज का वितरण किया जा रहा है जबकि वर्तमान समय में पैक्स अध्यक्ष विरेंद्र कुमार भगत हैं,ऐसे में सवाल ये है कि आखिरकार संजय कुमार भगत के द्वारा बीज का वितरण किसके संरक्षण में किया जा रहा है वहीं इसको लेकर किसानों में भी काफी रोष है।वहीं इस संबंध में पथरगामा प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी आशुतोष अम्बस्ट का कहना है कि यह असंवैधानिक है ऐसा नहीं होना चाहिए।प्रखंड तकनीकी प्रबंधक पवन कापरी ने बताया कि धान का बीज 17 रुपये 20 पैसा प्रति किलो की दर से किसानों को मुहैया कराना है,इस हिसाब से 25 किलो धान के बीज का दाम 430 रुपया होता है जबकि किसानों से 475 वसूला जा रहा है,अर्थात किसानों से 45 रुपया अधिक वसूला जा रहा है साथ ही दूसरे प्रखंड के किसानों को भी दिया जा रहा है जिसका जीता जागता प्रमाण महागामा प्रखंड के दयालकित्ता निवासी किसान गोरेलाल यादव है जिसे यहां से धान का बीज दिया गया है।किसानों के साथ हो रही इस धांधली की सूचना जब गोड्डा अनुमंडल पदाधिकारी को मिली तो उन्होंने मामले को जांच करने का आदेश दिया है।हालांकि घपलेबाजी से घिरे इस पूरे मसले का जांच का आदेश मिलते ही पैक्स अध्यक्ष के द्वारा धान के बीज का वितरण बंद कर दिया गया ऐसे में किसान काफी रोषपूर्ण है।IMG-20220605-WA0126.jpgआपको बता दें कि जहां एक तरफ यहां पैक्स के पूर्व अध्यक्ष के द्वारा मोर्चा सम्भालने की बात निकली थी वहीं दूसरी तरफ किसी अन्य प्रखण्ड के किसानों को अवैध रूप से बीज देने का मामला भी सामने आया साथ ही निर्धारित दर से अधिक की राशि वसूले जाने का भी मामला उजागर हो गया और इस प्रकार के हो रहे किसानों के साथ धोखाधड़ी के बाद मामला सीधे उच्चस्थ अधिकारी तक पहुंच चुका है,ऐसे में अब किसान जहां एक तरफ बीज के वितरण बंद करने से इसका लाभ लेने में पिछड़ रहे हैं वहीं अब जांच की संदेह के घेरे में है।अब देखना ये दिलचस्प होगा कि जब ऐसे प्रमाणिकता से भरे तथ्य सामने आते हैं तो इस पर किस प्रकार की विभागीय कार्यवाही होती है।