गुणवत्तापरक शिक्षा और अनुशासन ही तिलक इंटर कॉलेज की पहचान

1953 में हुई थी इसकी स्थापना

यहां पर अध्ययन किए हुए तमाम छात्र एवं छात्रा उच्च पदों पर आज भी है आसीन

सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश। बांसी तहसील के छात्र-छात्राओं एवं अभिभावकों की शिक्षा एवं अनुशासन की दृष्टि से आज भी पहली पसंद तिलक इंटर कॉलेज ही है।
जहां एक ओर सरकारी विद्यालयों का नाम सुनकर लोग अव्यवस्था, लापरवाही एवं तमाम प्रकार की कमियों को गिनाते हैं, वहीं तिलक इंटर कॉलेज का नाम आते ही गुणवत्तापरक शिक्षा,अनुशासन और उच्च शैक्षणिक गतिविधियों को लेकर बरबस ही ध्यान आकृष्ट हो जाता है।, कभी जनसंघ विद्यालय के नाम से प्रसिद्ध बांसी के तिलक इंटर कॉलेज ने शुरुआती दौर में विविध प्रकार की परेशानियों को झेला है। इसके संस्थापकों ने तमाम परेशानियों को झेलने के बाद भी शिक्षा के दीप को बुझने नहीं दिया और आज यह विद्यालय जिला, मंडल ही नहीं पूरे प्रदेश में अपना नाम रोशन कर रहा है। इसके अतीत को लेकर यहां के सम्मानित प्रबुद्ध जन बताते हैं कि इसकी स्थापना 1953 में हुई। तब यह विद्यालय जनसंघ के नाम से जाना जाता था। क्योंकि इसकी स्थापना संघ के प्रति समर्पित लोगों ने की थी। विद्यालय की स्थापना में योगदान देने वाले बैजनाथ,शुकदेव प्रसाद श्रीवास्तव, पंडित राजेंद्र नाथ त्रिपाठी, शंभू प्रसाद अग्रवाल, ठाकुर बेनी माधव सिंह, जगन्नाथ लाल श्रीवास्तव (मुख्तार साहब), कृष्ण देव श्रीवास्तव( मुन्नू बाबू), राधेरमण लाल श्रीवास्तव, तथा माधव प्रसाद त्रिपाठी उर्फ माधव बाबू के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। विद्यालय की स्थापना के लिए गौरी स्टेट के लाला बाबू ने अपनी जमीन दी थी। जुलाई 1953 में केवल 3 कमरों का विद्यालय छप्पर डालकर तैयार किया गया था। जिसका नाम जनसंघ विद्यालय रखा गया था। विद्यालय के प्रथम प्रधानाचार्य बस्ती के अचल बिहारी श्रीवास्तव जो बस्ती राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर प्रचारक भी रहे, उन्हें बनाया गया था। जनसंघ नेता माधव बाबू के कहने पर बस्ती जनपद के तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक देवदत्त प्रसाद ने इस विद्यालय को कक्षा आठ तक की मान्यता प्रदान की। मान्यता मिलने के बाद इस विद्यालय का नाम ' ग्राम विद्या मंदिर' कर दिया गया था। कुछ महीने ही विद्यालय किसी तरीके से चल पाया था कि भीषण बाढ़ ने विद्यालय के अस्तित्व को ही समाप्त कर दिया था। काफी सोच-विचार के बाद बांसी के संभ्रांत लोग यहां के मिश्रा स्टेट से मिले और विद्यालय की दशा बताएं। मिश्रा स्टेट ने अपनी छितौना कोठी को ₹125 प्रतिमाह किराए के दर से अपनी कोठी को किराए पर दिया। जिसमें विद्यालय लगभग 3 साल चला। इसी बीच बाढ़ प्रभावित निचले क्षेत्र की जमीनों पर शासन के निर्देश पर प्रशासन ने मिट्टी पटाई का कार्य कराया। पंडित राजेंद्र नाथ त्रिपाठी के प्रयास से विद्यालय की जमीन को न केवल ऊंचा कराया गया बल्कि आसपास के नजूल जमीन को भी विद्यालय को दान स्वरूप दे दिया। इसके बाद बांसी के जमुना सेठ के चाचा सेठ नारायण दास ने विद्यालय में चार पक्के कमरों का निर्माण कराया। 1959 में जब विद्यालय को हाई स्कूल की मान्यता मिली तो इसका नाम ' नारायण उच्चतर माध्यमिक विद्यालय' कर दिया गया। बाद में इंटर की मान्यता भी मिल गई। मुश्किलों के तमाम दौर को देखने के बावजूद तिलक इंटर कॉलेज ने तमाम क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवा दे रहे तमाम बच्चों को बेहतर रूप से तराशा। जिसमें श्यामनगर वार्ड के संजय कुमार मुख्य न्यायिक अधिकारी के रूप में वर्तमान समय में झांसी जिले में अपना सेवा दे रहे हैं, अंकुर सिन्हा, विजय सिन्हा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना बेहतर योगदान प्रदान कर रहे हैं, डॉ० बृजेश कुमार मिश्र आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज महाराष्ट्र में प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत हैं, अजय कुमार गुप्ता सहायक अभियोजन अधिकारी, कृष्णानंद त्रिपाठी जेवलिन थ्रो में अपना अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुके हैं, रजनीश कुमार श्रीवास्तव बिहार राज्य में न्यायिक क्षेत्र के उच्च अधिकारी, तथा आनंद प्रकाश उपाध्याय भी न्यायिक क्षेत्र में उच्च पद पर आसीन हैं।
इस संबंध में विद्यालय के प्रबंधक डॉ अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि विद्यालय शुरू से ही गुणवत्ता परक शिक्षा और अनुशासन के लिए प्रतिबद्ध है।IMG-20211101-WA0049.jpg यही कारण है कि आज यहां से निकलने वाले छात्र एवं छात्रा समाज में विविध क्षेत्रों में अपना उत्कृष्ट सेवा प्रदान कर रहे हैं।
विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ कृष्ण कुमार का कहना है कि विद्यालय के वरिष्ठ जनों, सेवानिवृत्त शिक्षकों के साथ-साथ कार्यरत शिक्षकों, कर्मचारियो और अभिभावकों का भरपूर प्रेम और सहयोग मिल रहा है जिसके कारण यहां का पठन-पाठन और अनुशासन बना हुआ है।IMG-20220818-WA0001.jpg