चंडीगढ़ में पहाड़ी आलूओं का गोरखधंधा:

in #punjab2 years ago

सेक्टर 26 मंडी में चिकनी मिट्‌टी से हो रहे तैयार; VIDEO बनती देख भागी लेबर

चंडीगढ़ की सेक्टर 26 मंडी में साधारण आलू को पहाड़ी आलू बनाने का खेल चल रहा है। मंडी में शैड के नीचे पहाड़ी आलू को तैयार किया जा रहा है। इसके लिए चिकनी मिट्‌टी का इस्तेमाल हो रहा है। चिकनी मिट्‌टी में आलूओं को डाल कर उन्हें पहाड़ी बनाया जा रहा है। कई मजदूर इस काम के लिए यहां पर लगाए गए हैं। वहीं जब घटना की वीडियो शूट होने की जानकारी इस लेबर को लगी तो यह मौके से भाग निकली। चिकनी मिट्‌टी एक बोरी के ऊपर रखी हुई थी और उसके साथ एक चिकनी मिट्‌टी का तसला भी रखा हुआ था।
दरअसल चिकनी मिट्‌टी एक विशेष प्रकार की मिट्‌टी होती है जो आसानी से आलूओं से निकलती नहीं है और न ही भुरती है। ऐसे में इस मिट्‌टी का इस्तेमाल कर मंडी में ग्राहकों को ठगा जा रहा है। इन आलू को बोरी में भर कर आगे बेचा जा रहा है।

बता दें कि सेक्टर 26 की यह मंडी शहर की सबसे बड़ी मंडी है और इस मंडी में रोजाना सैकड़ों लोग सब्जी और फ्रूट खरीदने आते हैं। ऐसे में रोज इन ग्राहकों को पहाड़ी आलू के नाम पर ठगा जा रहा है। पहाड़ी आलू का रेट आम आलू से ज्यादा होता है। आजकल आम आलू एक ओर जहां 20 रुपए किलो के हिसाब से बिक रहा है। वहीं पहाड़ी आलू का रेट 30 रुपए के आसपास बना हुआ है।

यूपी से आ रहे हैं नकली पहाड़ी आलू

मंडी में मौजूद सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के संभाई जिले में चंडोसी और जिला गाजियाबाद के हापुर से बड़ी मात्रा में यह डूप्लीकेट आलू आते हैं। यह मिट्‌टी वाले आलू सीधे चंडीगढ़ सेक्टर 26 की मंडी में पहुंच रहे हैं। यह आलू 20 से 25 रुपए रुपए तक प्रति किलो बिक रहा है। मंडी में रोजाना 8 से 10 गाड़ियां इन आलूओं से भरी आती हैं। हर गाड़ी में 200 के लगभग बोरियां इन आलूओं से भरी होती हैं। एक दुकानदार ने बताया कि अफसरों को सारी जानकारी है मगर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

ब्लैक सीमेंट का इस्तेमाल होता है

एक दुकानदार ने बताया कि साधारण और सस्ते आलू को पहाड़ी आलू बनाने के लिए कुछ लोग ब्लैक सीमेंट का इस्तेमाल करते हैं। इसमें मिट्‌टी मिला कर आलू को इसमें से निकाला जाता है। ऐसे में आलू पर एक लेयर आ जाती है और यह पहाड़ी आलू लगता है। इस प्रकार का आलू कई बीमारियों का कारण बन सकता है।

बता दें कि इस सब्जी मंडी में इससे पहले भी आम, केले और पपीते जैसे फलों को मसालों में गैर-प्राकृतिक तरीके से पकाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। जानकार बताते हैं कि अभी भी यह प्रैक्टिस छिप कर चल रही है।