सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में किसी और शक्ल में तो नहीं आ जाएगा राजद्रोह कानून?

in #supreme2 years ago

एक आज़ाद मुल्क में नागरिक के पास बोलने की आज़ादी हो, उसे किसी तरह से डराया नहीं जाए, इसलिए इस कानून को चले जाना चाहिए. यह बड़ी बात है कि कोर्ट के इस अंतरिम रोक ने सरकारों की करतूत को उजागर कर दिया है लेकिन हम यह भी समझते हैं कि इससे सरकारों को कोई फर्क भी नहीं पड़ने वाला है.पूरे देश में जहां भी राजद्रोह के मुकदमे चल रहे हैं, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है.इस फैसले को दो तरह से देखा जा रहा है. एक कि इसके बाद भी सरकार और पुलिस के पास किसी नागरिक का गला दबाने के लिए तमाम धाराएं मौजूद हैं और दूसरा कोर्ट की इस अंतरिम रोक से यह साबित भी हो जाता है कि सरकार और पुलिस लोगों की आवाज़ दबाने के लिए इस कानून का इस्तेमाल करती हैं. एक आज़ाद मुल्क में नागरिक के पास बोलने की आज़ादी हो, उसे किसी तरह से डराया नहीं जाए, इसलिए इस कानून को चले जाना चाहिए. यह बड़ी बात है कि कोर्ट के इस अंतरिम रोक ने सरकारों की करतूत को उजागर कर दिया है लेकिन हम यह भी समझते हैं कि इससे सरकारों को कोई फर्क भी नहीं पड़ने वाला है.कभी अंग्रेज़ी हुकूमत ने बाल गंगाधर तिलक और गांधी के खिलाफ़ इस कानून का इस्तेमाल किया था,आज के दौर में कई पत्रकार और समाज के हितों के लिए लडने वाले कार्यकर्ताओं के खिलाफ़ इस्तेमाल हो रहा है. बेशक आज का दिन उन लोगों के लिए बड़ा है जिन्होंने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.