पर्यावरण संरक्षण के भगीरथ रिटायर्ड शिक्षक हरिनारायण नारोलिया
RaJu malviya,,छापीहेड़ा,,
जी हां पर्यावरण संरक्षण में भगीरथ प्रयास कर रहे हैं छापीहेड़ा शहर के 86 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक हरिनारायण नारोलिया,उन्होंने अपना जीवन पूरी तरह से वृक्षों के संरक्षण में समर्पित कर दिया है।
अपने जीवन काल में 5 हजार से अधिक पेड़ लगाकर अपनी इस वृक्ष-साधना के लिए लोग उन्हें ट्री मेन भी कहने लगे है
आपको बता दे शिक्षक हरिनारायण नारोलिया को पर्यावरण में तेजी से घुलते प्रदूषण के जहर ने अचंभित और क्षुब्ध किया। बाद में उन्हें पता चला कि इससे निपटने में वृक्ष भी एक कारगर शस्त्र हो सकते हैं
उन्होंने सोचा कि क्यों न एकला चलो के अंदाज में अपना स्वयं का वृक्षारोपण अभियान शुरू करे इसके लिए उन्होंने खुद का एक तरीका सोचा
इस सफर में उन्हें जहां भी खाली जमीन दिख जाए,पौधे रोपकर वहां से आगे बढ़ जाते
क्षेत्र में नीम, बेल, पीपल, कदंब आदि के लगभग 5 हजार पौधे रोपकर क्षेत्र को हराभरा कर डाला। इस दौरान वह सिर्फ पौध रोपण ही नहीं,उनकी देख-भाल रखवाली भी करते रहे।
यह सब करते-करते आज वह स्वयं में एक वृक्ष-विश्वकोष बन चुके हैं। उनको तरह-तरह की पौध-प्रजातियों एवं उनसे होने वाले लाभ की भी पूरी जानकारी है,पेड़-पौधों के साथ ही वे किताबें पढ़ने के भी शौकीन हैं
आपको बता दे श्री नारोलिया और कुछ नहीं, बस अपने लगाए हर पौधे को पेड़ बनते देखना चाहते थे। अब तक उनका एकला चलो मिशन पचास साल का हो चुका है। वह बूढ़े हो चुके हैं और अब तक एक 5 हजार से अधिक पौध रोपकर उनका मिशन जवान हो गया है