अस्पताल में आने वाली हर महिला की होगी खून की जांच
सभी महिलाओं को एनीमिया से बचाने के लिए लिया गया निर्णय
एक मई से सात मई तक चलेगा एनीमिया मुक्त अभियान
शिवनगर के पुर्नवास केंद्र का सोमवार को होगा उद्घाटन
पानीपत। स्वास्थ्य विभाग आज से सात मई तक एनीमिया मुक्त अभियान की शुरुआत कर रहा है। यह अभियान टेस्ट, ट्रीट व टाक आधारित थीम पर होगा। अभियान के दौरान सिविल अस्पताल, सामुदायिक केंद्रों व प्राथमिक केंद्रों पर आने वाली महिलाओं की एनीमिया की जांच होगी। स्कूलों में बच्चों की एनीमिया जांच कर एनीमिया के रोगियों को चिह्नित किया जाएगा। गांव में आंगनवाड़ी वर्कर भी एनीमिया के मरीजों को चिह्नित कर सिविल अस्पताल में इसकी रिपोर्ट भेजेंगी। इसके बाद डॉक्टर एनीमिया के मरीजों का इलाज करेंगे। इस संबंध में आशा वर्करों व एएनएम को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। पिछले सर्वों के मुताबिक जिले की 69 प्रतिशत गर्भवतियों में खून की मात्रा 11 ग्राम से कम मिली है। 20 प्रतिशत तो ऐसी गर्भवती महिलाएं हैं जिनमें रक्त की मात्रा आठ ग्राम से भी कम हैं। इसलिए प्री मैच्योर डिलीवरी होने का खतरा बढ़ जाता है। इनमें रक्त की मात्रा 11 ग्राम से कम मिली है। सोमवार को स्वास्थ्य विभाग शिवनगर में पोषण पुर्नवास केंद्र का भी उद्घाटन कर रहा है।
कोरोना के कारण पिछले दो साल से अभियान में आई बाधा-
2020 व 2021 में स्वास्थ्य विभाग नियमित रूप से अनीमिया के खिलाफ अभियान नहीं चला सका। स्कूल अधिकतर समय बंद रहे। स्कूलों में एलबेंडाजोल की गोलिया खिलाने का अभियान रुक गया। इसलिए इन दो सालों में अनीमिया के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
गर्भवतियों में खून की कमी बड़ी चुनौती-
स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती गर्भवतियों में खून की कमी है। खून की कमी के कारण ही प्री मैच्योर डिलीवरी भी बढ़ रही है। महिलाओं को एनीमिया के खिलाफ जागरूक करने के लिए हर माह की नौ तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान के तहत हर सीएचसी व पीएचसी में कैंप भी लगाए जाते हैं। बावजूद इसके स्थिति नहीं सुधर रही है।
क्या है एनीमिया के लक्षण
-त्वचा का सफेद दिखना।
-जीभ, नाखून व पलकों के अंदर सफेदी।
-कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट।
-लेटने व बैठने के दौरान चक्कर आना।
-बेहोश होना, सांस फूलना, हद्यगति का तेज होना।
-चेहरे व पैरों पर सूजन दिखाई देना।
मरीजों को चिह्नित कर करेंगे इलाज- डॉ. वर्मा
जिले में सात मई तक एनीमिया मुक्त अभियान चलाया जाएगा। स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाली महिलाओं की एनीमिया जांच होगी। आशा वर्करों व एएनएम को ट्रेनिंग दी गई है। एनीमिया के मरीजों को चिह्नित कर उसका इलाज किया जाएगा।
डॉ. ललित वर्मा, डिप्टी सिविल सर्जन