'30 हजार में Indian Army पर हमला करने का मिला था काम', आतंकी ने खोली PAK की पोल

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जम्मू-कश्मीर के राजौरी के नौशेरा सेक्टर में एलओसी के पास मुठभेड़ में पकड़े गए आतंकवादी तबारक हुसैन ने पाकिस्तानी सेना की पोल खोल दी है. इस फिदायीन आत्मघाती हमलावर ने बताया है कि उसे पाकिस्तानी सेना के कर्नल यूनुस ने भारतीय सेना पर लगभग 30,000 रुपये में हमला करने का काम सौंपा था.

तबारक हुसैन ने ANI को बताया कि हम 4-5 लोग थे. पाकिस्तानी सेना के कर्नल यूनुस ने हमें भेजा था. उन्होंने हमें पैसे दिए थे. हमें भारतीय सेना की 1-2 पोस्ट पर हमला करने को कहा गया था. बता दें कि तबारक को 21 अगस्त को राजौरी के नौशेरा सेक्टर में एलओसी के पास मुठभेड़ में पकड़ा गया था.

पीओके का रहने वाला है तबारक

तबारक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कोटली के सब्जकोट गांव का रहने वाला है. अधिकारियों ने कहा कि पिछले छह साल में दूसरी बार हुसैन को सीमापार से इस तरफ घुसपैठ की कोशिश करने के दौरान गिरफ्तार किया गया. वह पाकिस्तानी सेना की एक खुफिया इकाई के लिए भी काम करता था.

सेना की 80 इन्फेंट्री ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर कपिल राणा ने बताया कि 21 अगस्त को सुबह के समय झानगड़ में तैनात चौकन्ने जवानों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दूसरी तरफ से दो से तीन आतंकवादियों की गतिविधि देखी.

उन्होंने कहा, एक आतंकवादी भारतीय चौकी के करीब आया और उसने बाड़ काटने की कोशिश की. चौकन्ने जवानों ने उसे ललकारा.हालांकि भागने की कोशिश कर रहा आतंकवादी गोली लगने से घायल हो गया. अधिकारी ने कहा कि पीछे छिपे हुए दो आतंकवादी घने जंगल की आड़ में भाग निकले. उन्होंने कहा, घायल पाकिस्तानी आतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया गया और तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने के साथ उसकी सर्जरी की गई.

ब्रिगेडियर राणा ने कहा कि पकड़े गए आतंकवादी ने अपनी पहचान पीओके में कोटली के सब्जकोट गांव के रहने वाले हुसैन के रूप में की है. उन्होंने कहा, ज्यादा पूछताछ पर आतंकवादी ने भारतीय सेना की चौकी पर हमले की अपनी साजिश को कबूल किया.हुसैन ने खुलासा किया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के कर्नल यूनुस चौधरी ने उसे भेजा था और 30,000 रुपये (पाकिस्तानी मुद्रा) दिए थे.

हुसैन ने लंबे समय से आतंकवाद से जुड़े होने की बात कबूल की है और बताया कि पाकिस्तानी सेना के मेजर रज्जाक ने उसे प्रशिक्षण दिया है. उसने सेना के अस्पताल में संवाददाताओं को बताया, मुझे धोखा दिया गया (साथी आतंकवादियों द्वारा) और फिर भारतीय सेना ने मुझे पकड़ लिया.

हुसैन ने बताया कि उसने छह महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया और पाकिस्तानी सेना द्वारा लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के सदस्यों के लिए संचालित कई आतंकवादी शिविरों में भी गया. राजौरी में सेना के अस्पताल के कमांडेंट ब्रिगेडियर राजीव नायर ने कहा कि हुसैन की हालत स्थिर है. उन्होंने बताया, वह हमारे जवानों का खून बहाने आया था लेकिन उन्होंने उसकी जान बचाई, उसे खून दिया और अपने हाथों से उसे खाना खिलाया.

अधिकारियों के मुताबिक गिरफ्तारी के समय वह चिल्ला रहा था, मैं मरने के लिए आया था, मुझे धोखा दे दिया. भाईजान मुझे यहां से निकालो.