आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का 50वां समाधि दिवस भव्य रूप में मनाया

in #mp2 years ago

अशोकनगर--राजस्थान की तपती रेतीले भूमि में साधना के शिखर को छूते हुए आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज आज से पचास वर्ष पूर्व सल्लेखना धारणकर समाधी में लीन हो गए वे हमारे वीच आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जैसा कोहेनूर हीरा छोड़ गये जिसके प्रत्येक पहलू से इस भारतीय संस्कृति और सभ्यता को पुस्ट किया जा रहा है उनके द्वारा अनगढ पत्थरों को नगीना वनते हुए हमने अपनी आंखों से देखा है आज चाहे हथकरघा की बात करें प्रतिभा स्थली की वात हो अखिल भारतीय पूर्णायू आयुर्वेदिक चिकित्सा संस्थान की बात हो ये सब हमें देखने को मिल रहे हैं उक्त आशय के उद्गार सुभाष गंज में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के पचासवे समाधि दिवस समारोह को संबोधित करते हुए आर्यिकारत्न श्रीआदर्श मति माताजी ने व्यक्त किए
इसके पहले आज प्रातः काल से ही गंज मन्दिर में उत्सव के माहौल में जैन युवा वर्ग के संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर के मधुर भजनों के साथ आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज की महापूजा महिला महासमिति एवं महिला परिषद के द्वारा व्यापक तैयारियां के साथ की गई सुन्दर सुन्दर थालो को सजाकर सर्व प्रथम स्थापना की गई महिला परिषद की श्रीमती नीलू बरोदिया रिंकी जैन रानी गांधी प्रीति बाबा श्वेता जैन वर्षा जैन प्रियंका जल चन्दन समर्पित किया
दिगंबर जैन महिला महासमिति श्रीमती इंदू गांधी सुनीता चौधरी प्रतिभा जैन उषा नेशनल ममता भारत सरला बंसल बबीता जैन अक्षय पुष्प अर्पित किए
वामादेवी महिला मंडल श्रीमती सीमा जैन ममता जैन कविता जैन ज्योति जैन नेवेध दीप अर्पित किएबहू बेटी संगठन श्रीमती सुरभि जैन कल्पना जैन सीमा जैन नीति जैन धुप समर्पित की सुधासागर महिला मंडल श्रीमती निर्मला जैन अर्चना जैन श्री फल से विद्यासागर महिला मंडल श्रीमती श्रीमती लता जैन श्रीमती मीना काजल रेणुका अखाई रवि अखाई अर्घ समर्पित किया वहीं व्रह्मचारी प्रदुम्न भइया समाज के प्रमुख रमेश चौधरी मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा,दीपक जैन,राजकुमार कासल ने पूर्ण अर्घ समर्पित किया
वच्चो ने दी IMG-20220531-WA0004.jpgसंस्कृति प्रस्तुति
इस दौरान श्री विद्यासागर सर्वोदय पाठशाला के वच्चो ने संस्कृति प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया इस दौरान आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा लिखित हाइको को आधार बनाकर विभिन्न शिक्षा पद झलकियां प्रस्तुति की गई।
छाया प्रति की तरह अपना ज्ञान उड़ेल दिया
उन्होंने चित्र कार का उदहरण देते हुए कहा कि एक राज दरबार में दो चित्र कार पहुंचे राज आज्ञा से दोनों ने चित्र तैयार किया दोनों के चित्रों के बीच एक पर्दा पड़ा हुआ था एक ने वहुत सुन्दर चित्र वानाया
जैसे उभरकर दूसरे दिवाल पर आ गया ऐसे ही आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को अपना पूरा ज्ञान उड़ेल दिया
ज्ञान को आचरण में पिरोकर सबसे के सामने रखा
दुर्लभ मति माता जी ने कहा कि जैन वांग मय के अपार ज्ञान को आचरण में पिरोकर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने आज भारतीय संस्कृति साहित्य को समृद्ध कर आने वाली पिंडियों को वहुत सारे प्रकल्प देकर रचनात्मक कार्य का मार्ग देकर एक नई राह दिखाई हैIMG-20220531-WA0006.jpgIMG-20220531-WA0003.jpg