Rajya Sabha Election: रालोद व सपा के संयुक्त उम्मीदवार जयंत चौधरी ने राज्यसभा के लिए किया नामांकन,

in #lucknow2 years ago

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रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल कर दिया। इस फैसले से अखिलेश यादव ने सपा-रालोद गठबंधन के मजबूत बने रहने का भी संदेश दिया।
राज्यसभा के लिए नामांकन करते जयंत चौधरी साथ में हैं अखिलेश यादव।

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने सोमवार को रालोद और सपा के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन कर दिया। इस मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ ही रालोद के कई नेता व समर्थक मौजूद थे। सपा उम्मीदवार जावेद अली और सपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कपिल सिब्बल पहले ही नामांकन कर चुके हैं।

नामांकन दाखिल करने के बाद जयंत चौधरी ने कहा कि सपा के साथ हमारा गठबंधन कायम है और कायम रहेगा। जिस तरह हम मिलकर विधानसभा चुनाव में मजबूती से लड़े उससे हमारा गठबंधन मजबूत हुआ है। राज्यसभा प्रत्याशी बनाने के लिए मैं अखिलेश यादव व सपा कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट करता हूं।

आपको बता दें कि रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को राज्यसभा के लिए सपा-रालोद का संयुक्त प्रत्याशी घोषित कर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अहम सियासी कदम उठाया है। अखिलेश ने भविष्य की संभावनाओं को मजबूती देने के लिए यह फैसला लिया है। साथ ही यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि गठबंधन में आपसी प्यार और सम्मान बना रहेगा।

यूपी के लिए राज्यसभा की कुल 11 सीटों पर चुनाव हो रहा है। इसमें भाजपा को सात और सपा को तीन सीटें मिलना तय है, जबकि 11 वीं सीट के लिए दोनों दलों के बीच संघर्ष होगा। सपा की तरफ से कपिल सिब्बल और जावेद अली नामांकन कर चुके हैं। तीसरी सीट के लिए मंथन चल रहा था।

चर्चा थी कि डिंपल यादव को तीसरे सदस्य के रूप में राज्यसभा भेजने की तैयारी है। घटनाक्रम में बुधवार को तब मोड़ आया, जब लखनऊ में रालोद के विधायकों ने अखिलेश यादव से मुलाकात की। उन्होंने मजबूती से अपनी बात रखी और कहा कि भले ही इस बाबत वादे हुए हों या न हुए हों, लेकिन गठबंधन का सरोकार और वक्त का तकाजा यही कहता है कि जयंत को राज्यसभा भेजा जाए।

भले ही सपा और रालोद गठबंधन अपेक्षित प्रदर्शन न कर पाया हो पर दोनों ने मिलकर मजबूती से चुनाव लड़ा और तमाम ऑफर के बावजूद जयंत गठबंधन के साथ मजबूती से खड़े रहे। चुनाव में भी उन्होंने पूरी ताकत लगाई। रालोद नेताओं ने यह बात रखी कि अब गठबंधन धर्म निभाने का फर्ज आया तो उससे निभाया जाना चाहिए। परिणाम यह रहा कि अखिलेश ने यह घोषणा कर दी कि उनके उम्मीदवार जयंत होंगे।