मासूम बच्‍चे आ रहे नशे की गिरफ्त में*

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उड़ता पंजाब' की तर्ज पर कोयलांचल की कोतमा नगरी, मासूम बच्‍चे भी आ रहे नशे की गिरफ्त में*

कोतमा नगर में नशे की गिरफ्त में युवा से लेकर बच्‍चे तक आ रहे हैं।शराब से लेकर नशीली सूई गांजा सुलेशन तक का इस्‍तेमाल धड़ल्‍ले से हो रहा है।

कोतमा शहर में नई उम्र के लड़के तेजी से नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं।नगर में कई जगह इनका हॉटस्‍पॉट है जहां जमावड़ा लगाकर ये नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं।शराब से लेकर गांजा, सुलेशन स्‍मैक ओर नशे की सूई लेते हैं। लेकिन प्रशासन इस ओर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा। इस कारण आम आदमी यह सब देखते हुए भी नजरें घुमा लेता है।क्‍योंकि कुछ कहने पर ये लड़के हिंसक हो जाते हैं।यह आम नागरिकों की चिंता बढ़ा रहा है।

बड़ी संख्‍या में मासूम बच्चे हो रहे शिकार
कोयलांचल क्षेत्र में नशे का लत इस कदर बढ़ती जा रही है कि युवा ही नहीं बल्कि अब खेलने-कूदने व कम उम्र के पढ़ने वाले बच्चे भी नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं।दवा की दुकान से लेकर बाजार में आसानी से उन्‍हें नशे के साधन उपलब्‍ध भी हो जा रहे हैं।धुएं के छल्ले उड़ाने में आज युवा अपनी शान समझ रहे हैं।नशे के भी अपने अलग-अलग प्रकार में युवाओं में प्रचलित है।किसी को शराब का नशा भाता है तो किसी को सिगरेट के धुएं में खो जाना अच्छा लगता है।इसमें भीख मांगने वाले बच्चे भी शामिल हैं। फुटपाथ पर रहने वाले गरीबों के बच्चे दिन भर सड़क पर भीख मांगते हैं।उस पैसे से बोनफिक्स सुलेशन गांजा खरीदकर नशा के रुप में सेवन करते हैं।

समाजसेवियों ने मासूम बच्चों को नगर में नशा करते पकड़ा
नगर में अब छोटे-छोटे बच्चों को भी नशे की लत लगती जा रही है।बच्चे अब सिर्फ बीड़ी, सिगरेट या गुटखा का ही नशा नहीं करते,बल्कि अब तो सुलेशन गांजा स्मैक का नशा भी करने लगे हैं। 24 जून शुक्रवार को नगर के युवा समाजसेवी ने ऐसे ही आधा दर्जन बच्चों को पकड़ा,जो रुमाल में सुलेशन को रखकर नशा कर रहे थे।बाद में इन बच्चों को हिदायत देकर छोड़ दिया गया।सुलेशन वह पदार्थ,है जो ट्यूब पंचर जोड़ने के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।मगर कुछ बच्चे इसे नशे के लिए इस्तेमाल करते पकडे़ गए।पकड़े गए बच्चों ने पुलिस को बताया कि नगर के दुकानों से नशे की सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
जिसमें कई बच्चे हैं जो भूख से पहले नशे की आग बुझाते हैं।नगर के चौराहा,रेलवे स्टेशन,बनिया टोला व क्षेत्र में दर्जनों बच्चे ऐसे हैं जो खानाबदोश जिन्दगी बसर करने के साथ नशे की जद में कैद होकर रह गए हैं।

शहर के कई गली मोहल्ले में उपलब्ध हो रही पुड़िया।
वैसे तो पूरे शहर में गांजे के शौकीनों को आसानी से गांजा मुहैया हो जाता है,लेकिन गांजे का अवैध कारोबार शहर में मुख्य रूप से एलआईसी के पीछे,भट्टी टोला,बनिया टोला गोविंदा, बुढानपुर सहित नगर की निचली बस्ती क्षेत्र में गांजे के कई अड्डे स्थित है जहाँ 24 घंटे खुलेआम गांजे की बिक्री होती है।अक्सर देखा जाता है कि नशे के आदी व्यक्ति कहीं भी चिलम सुलगाने लगते है।चाहे वह सार्वजनिक स्थान हो या फिर खुला मैदान,इतना ही नही इस तरह का नशा करने वाले लोग सड़क के किनारे भी बैठ कर चिलम चढ़ाने लगते हैं।पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों शहर के बीचोंबीच गांधी चौक,रेलवे स्टेशन बस स्टैंड पहली पसंद है जहां सूरज ढलते ही गांजे की कश लगाने वालों को आसानी से देखा जा सकता है जिनमें ज्यादातर छोटे तबके के लोगों के अलावा शहर के रसूखदारों की भी बराबर मौजूदगी रहती है।पर विडंबना यह है कि स्थानी पुलिस इस पर अब तक अपनी आंखे मूंदे हुये है।

प्रतिमाह लाखों रूपए का अवैध कारोबार
पुलिस प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं करने से नसे के कारोबारी बेखौफ होकर खुलेआम नशे के नाम पर मौत की पुडिया बेच रहे है।एक अनुमान के मुताबिक कोयलांचल क्षेत्र के शहर व शहर से लगे आस-पास के ग्रामीण इलाकों में प्रतिमाह लगभग 20-30 लाख रुपये की गांजे की बिक्री हो रही है जिसकी दो ही वजह संभव है या तो गांजे का अवैध कारोबार पुलिसिया संरक्षण में फल-फूल रहा है या फिर पुलिसिया खुफिया तंत्र को गांजे के अवैध कारोबार के विषय में कोई इनपुट नहीं मिल पा रही है।ऐसे में दोनों ही स्थितियों को शहर के हित नहीं माना जा सकता है।

नशों के खिलाफ एकजुट होकर बोलना होगा हल्ला
नगर के युवा समाजसेवी राजकमल तिवारी ने कहा कि नशे के खिलाफ हम सभी को मिलजुल कर काम करने की जरूरत है।तिवारी ने कहा कि टीम वर्क के माध्यम से हर काम संभव है।नशा किसी को भी नहीं छोड़ता है।नशे के खिलाफ बेशक प्रशासन गंभीर नहीं है पर यह गंभीरता हम सभी को लानी होगी।समाज में कई उदाहरण सामने है कि बच्चे भी नशा कर रहे हैं यह हमारे समाज के लिए शुभ संकेत नहीं है।
कोयलांचल क्षेत्र में नशा अन्य स्थानों के मुकाबले अधिक बिकता है जो कि चिंता का विषय है।

जागरूकता बढ़ाने की नहीं एक्शन की है अब जरूरत उपाध्याय
नशों के खिलाफ जागरूकता की नहीं अब समय है कि नशे के कारोबार करने वालों के खिलाफ प्रशासन सख्त एक्शन लें।क्योंकि सख्ती के बिना नशे के व्यापार को बंद नहीं किया जा सकता है। सभी को मिलकर पुलिस, प्रशासन व राजनीतिक नेताओं पर दबाव बनाना होगा।जबाबदार प्रशासनिक अधिकारी अपना मन साफ रखे तभी नशे का व्यापार रुकेगा।कुछ दिनों की सख्ती से नशे पर नकेल नहीं कसी जा सकती है।प्रशासन नौजवान पीढ़ी को नशो के गर्त में जाने से बचा सकता है।बिना सख्ती के कुछ भी संभव नहीं। यह बात नगर के युवा समाजसेवी प्रदीप उपाध्याय ने कहीं।

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