राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए 'बम बम महाराज' सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति चुनाव नामंकन से जुड़े नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर कोई आदेश देने से मना कर दिया है.
राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) नामंकन से जुड़े नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर कोई आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मना कर दिया है. बम बम महाराज नौहट्टिया नाम के याचिकाकर्ता ने नामांकन भरने के लिए 50 सांसदों या विधायकों को प्रस्तावक बनाने के नियम को गलत बताया था. उनका कहना था कि वह 2007 से राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह नियम उनके आड़े आ जाता है.
याचिकाकर्ता के वकील को थोड़ी देर सुनने के बाद जस्टिस सूर्य कांत ने कोर्ट में मौजूद बम बम महाराज से कहा- "आप कहते हैं कि आप 2007 से चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं. आप खुद को सामाजिक कार्यकर्ता भी बता रहे हैं लेकिन लगता यही है कि आप मौसमी कार्यकर्ता हैं. जब चुनाव आता है, आप सक्रिय हो जाते हैं." जजों ने कहा कि इस मामले पर वह कोई आदेश नहीं देना चाहते. वकील फिर भी अपनी बात कहते रहे. इस पर बेंच ने उन्हें कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए जुर्माना लगाने की चेतावनी दी.
जजों ने याचिकाकर्ता से कहा, "आप हर बार राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद यह मुद्दा उठाते हैं. जब चुनाव न हो, तब याचिका दाखिल करें. फिर सुनवाई हो सकती है." इसके बाद कोर्ट ने इसी मसले पर एक अन्य याचिकाकर्ता मंदाति तिरुपति रेड्डी की भी याचिका खारिज कर दी. रेड्डी ने भी 'प्रेसिडेंट एन्ड वाईस प्रेसिडेंट इलेक्शन एक्ट, 1952 के प्रावधानों को चुनौती दी थी. उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि वह लोकसभा महासचिव को उनका नामांकन स्वीकार करने का निर्देश दें.
देश का 16वां राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होने जा रहा है. इस चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है. विपक्षी पार्टियों की तरफ से यशवंत सिन्हा मैदान में हैं.
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