राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोले वक्ता-प्रकृति संतुलन के लिए जैव विविधता जरूरी

in #ujjain2 years ago

लोकेशन-उज्जैन

उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय विभाग द्वारा सोमवार को जैव विविधता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें हायर सेकेंडरी, बी. एससी. एवं एम एससी जीव विज्ञान संकाय के 125 से अधिक विद्यार्थियों ने सहभागिता की।
जैव विविधता संरक्षण का आशय, प्रकृति में उपस्थित विविध जीव-जंतु, प्रजातियों एवं अन्य जैव संसाधनों को संरक्षण प्रदान करना है। पारिस्थितिक संतुलन एवं मानव जीवन की आवश्यकतओं की अबाध आपूर्ति के लिए जैव विविधता का होना आवश्यक है। जैव विभिन्नता में वन्य जीवन और प्रजातियों की अधिकता है। यह कार्य और रूप से तो अलग है, लेकिन इनमे पारस्परिक सामंजस्य है। इस ग्रह पर लाखों जीवों के साथ हम रहते हैं। इसमें सूक्ष्म से लेकर हाथी आदि सभी प्राणी सम्मिलित है। यह संपूर्ण निवास जहाँ हम रहते हैं, जैव विविधता है। पृथ्वी पर करोड़ों सालों से महासागरों की गहराई से लेकर पर्वतों के शिखरों, मरुस्थल, मैदानों, नदियों के आँचल में जीवन फल-फूल रहा है। पृथ्वी पर लाखों प्रकार के जीव-जंतु, वनस्पति, जीवाणु आदि पाए जाते हैं। इन सभी जीवों की विविधता ही जैव विविधता कहलाती है। जैव-विविधता की कमी होने से ही प्राकृतिक आपदाएं जैसे- बाढ़, सूखा, आंधी-तूफान की संभावना बढ़ जाती है। ग्लोबल वार्मिंग का संकट, हम सब झेल ही रहे हैं। ऐसा पर्यावरण पर ध्यान नहीं देने और अधिक ऊर्जा खपाने तथा प्राकृतिक जैव विविधता को संरक्षण नहीं देने के कारण है। इसी कारण आज जैव विविधता के लिए विश्व सचेत है और इसी भावना को विद्यार्थियों में प्रवाहित करने के लिए विक्रम विश्विद्यालय के जीव संकाय विभाग ने विद्यार्थियों के लिए साइंटिफिक इवेंट एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 23 एवं 24 मई को प्राणिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में किया जिसमें 125 से अधिक विद्यार्थियों ने सहभागिता की। जीव संकाय विभाग के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर डी एम कुमावत एवं प्राणिकी एवं जीव-प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सलिल सिंह ने बताया कि दिनांक 24 मई को इस साइंटिफिक इवेंट का पुरस्कार वितरण समारोह होगा तथा इस इवेंट में भाग लेने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को सहभागिता का प्रमाणपत्र एवं विजेता को पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। कार्यक्रम के सचिव डॉ अरविन्द शुक्ल, डॉ शिवि भसीन एवं डॉ गरिमा शर्मा ने बताया की छात्रों में जीव-विविधता की जानकारी एवं उसकी संरक्षण के तरीकों के बारे में समझने के लिए दिनांक 24 मई को प्राणिकी एवं जीव प्रौद्योगिकी अध्ययनशाला में विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमे डॉ किरण बिसेन (डीएफओ, फारेस्ट) मनोज अग्रवाल (ए पी सी सी एफ) एवं डॉ आर. सी. वर्मा ( पूर्व प्राचार्य वनस्पतिकी अध्ययनशाला विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा छात्रों को जैव विविधता एवं उसके संरक्षण के बारे में बताया गया ।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि भारत का भूभाग दुनिया में केवल 2.5% हिस्सेदारी रखता है, लेकिन यहां दुनिया के 14% जीव-जंतु-वनस्पति पाए जाते हैं। भारत में 2546 प्रकार की खारे व मीठे जल की मछलियां, 198 प्रकार के उभयचर मेंढक, कछुआ जैसे जीव जो जल-थल दोनों में निवास कर सकते हैं। यहां 1331 प्रकार के पक्षी, 408 प्रकार के सरीसृप, 430 स्तनधारी प्रकार के जीव पाए जाते हैं। साथ ही 50000 तरह की वनस्पतियां एवं 15000 प्रकार के फूल भी हमारी भूमि पर पाए जाते हैं। ये तो प्रजातियां हैं, फिर इनकी उप्रजातियों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है और हमारे विद्यार्थियों को इस देश कि जैव-विविधता एवं उसके संरक्षण के बारे में विस्तार से पता होना चाहिए, जिसके लिए विद्यार्थियों का ऐसी संगोष्ठियों में भाग लेते रहना अवाश्यक है
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने बताया कि पृथ्वी पर जीवन कि विविधता ही जैव विविधता है, जिसके संरक्षण के लिए विश्वविद्यालय ने समय-समय पर महत्वपूर्ण कदम उठाये है।
प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय ने बताया कि विश्वविद्यालय ने माननीय कुलपति जी के मार्गदर्शन में जैव-विविधता के संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। इसी वर्ष विश्वविद्यालय ने कई संस्थाओ के साथ मिलकर वृक्षारोपण में सक्रिय भूमिका निभाई है। जैव विविधता दिवस के अवसर पर मनाये जा रहे इस कार्यक्रम में जीव विज्ञान संकाय के शिक्षकगण डॉ जगदीश शर्मा, डॉ निहाल सिंह, डॉ पराग दलाल, डॉ मुकेश वाणी, डॉ संतोष कुमार ठाकुर, डॉ स्मिता सोलंकी, श्री आशीष पाटीदार, कुमारी वर्षा पटेल, कुमारी रीना परमार, कुमारी आकांशा ठाकुर एवं कुमारी पूर्णिमा त्रिपाठी उपस्थित थे।IMG-20220523-WA0017.jpg