माता शताक्षी के दरबार में फल भेंट करने से होती मुराद पूरी

in #shatakshi2 years ago

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  • घुघरी से पांच किमी दूर किसान टोला की टेकरी में है स्थान
  • लमनी बाई कर रही माता की सेवा
  • माता शताक्षी का स्थान करीब 500 वर्ष से भी अधिक पुराना

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मंडला. जिले में ऐतिहासिक धरोहर, प्राचीन मंदिर समेत अन्य धरोहरे है। जिनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। प्राचीन धरोहरों में जिले के कई क्षेत्रों में प्राचीन मंदिर भी है। जिनका महत्व भी बहुत है। ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर भक्तों की आस्था का केन्द्र है। यह प्राचीन मंदिर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर विकासखंड घुघरी के समीप पांडकला पंचायत के पोषक ग्राम सैलवारा के किसान टोला में शताक्षी (नकचुन्ना) माता का मंदिर है। यह स्थान लोगों का आस्था का केंद्र है। दोनों नवरात्र में माता रानी की आराधना भक्त करते है।

जानकारी अनुसार विकासखंड घुघरी महत पांच किमी दूर पोषक ग्राम सैलवारा के किसान टोला की टेकरी में विराजित मां शताक्षी का बहुत ही सुंदर अद्भुत मंदिर है। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि यह स्थान करीब 500 वर्ष से भी अधिक पुराना है। बताया गया कि पहले यहां पर एक छोटा सा चबूतरे में पत्थर की मूर्ति विराजमान थी। जिस पर लोगों की आस्था माता नकचुन्ना देवी पर बढ़ती गई और लोगों की आस्था केन्द्र बन गया। घुघरी निवासी शिक्षक खिलेश्वर बाबा ने बताया कि हमारे बुजूर्ग बताते है कि नकचुन्ना दरबार में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। यहां धार्मिक आयोजन समय-समय पर होते है।

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  • आंवला नवमी में होते हैं आयोजन :
    बताया गया कि नकचुन्ना दरबार में आंवला नवमी के पर्व पर मेला का आयोजन किया जाता है। दरबार के प्रति आस्था के कारण यहां लोग दूर-दूर से आते है और माता को प्रसाद का चढ़ावा चढ़ाते है। यहां आने वाले लोग मेले से ली हुई सामग्री को पहले माता के दरबार में चढ़ाते है, इसके बाद उस सामग्री को अपने साथ घर ले जाते है। इस मेले में की पहचान गन्ने से है। मेले में आने वाला हर व्यक्ति गन्ना की भेेट माता को चढ़ाकर अपने साथ ले जाता है। यहां हर किसी की मुराद माता के दर्शन मात्र से पूरी होती है।

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  • चढ़े हुए नारियल से होती है मन्नते पूरी :
    माता नकचुन्ना के दरबार में आने वाले भक्त दीप प्रज्जवलित कर फल भेंट करते है। बुजूर्गो का कहना है कि यदि दरबार में माता को फल भेंट करने के बाद किसी भी कार्य को करें तो आपको जरूर सफलता मिलेगी। आने वाले भक्त श्रृद्धानुसार माता को फल, श्रृंगार भेंट कर मुराद मांगते है। माता के भक्तों में क्षेत्र के कई राजनीतिक हस्तियां भी इनका आर्शीवाद लेने आते है। माता के मंदिर के स्थान का निर्माण कराया गया है। इसके साथ मंदिर परिसर के आसपास वृक्षारोपण भी किया गया है।

  • लमनी बाई है माता की सेविका :

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बताया गया कि माता शताक्षी (नकचुन्ना) के दरबार में कोई पुरूष पुजारी नहीं बल्कि एक महिला पुजारन है। यहां वर्षो से लमनी बाई द्वारा माता के दरबार की सेवा की जा रही है। इसके पहले इनके पति यहां के पंडा थे। लमनी बाई ने बताया कि हमारी चार पीढ़ी माता के दरबार में सेवा कर रही है। माता के दरबार में डिंडोरी, मंडला, जबलपुर, सिवनी, बालाघाट, छत्तीसगढ़ समेत अन्य क्षेत्र और राज्यों के लोग माता के दरबार में श्रृद्धा भक्ति से आते है और अपनी श्रृद्धानुसार भेंट चढ़ाते है।

हमारे बुजूर्गो ने बताया कि यह मंदिर बहुत ही पुराना है यहां आने वाले हर भक्तों की मुराद पूरी होती है। घुघरी का यह स्थान बहुत ही प्रसिद्ध दरबार है। यहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। यह स्थाना लोगों के लिए आस्था का केन्द्र है।
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यशोदा मरावी, सरपंच घुघरी

यह शताक्षी माता का मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है, हमारे बुजुर्ग बताते हैं कि यहां कोई भी दिक्कत परेशानी हो तो मां के दरबार में जाकर मन्नतें, अर्जी लगाने से सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं और हम लोग तब से लेकर आज तक माता के प्रति आस्था है।
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रामकली प्रजापति वरिष्ठ समाजसेवी, घुघरी

हमारे पूर्वज बताते हैं कि शताक्षी माता के दरबार में जो भी श्रद्धा के साथ श्रद्धालु अपनी मन्नतें मांगते हैं, उनकी मुरादें माता रानी पूरा करती हैं, हम लोग बहुत विश्वास और आस्था के साथ मां के दरबार में जाते हैं और अर्जी लगाते हैं।
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रामप्रकाश साहू, पूर्व जनपद उपाध्यक्ष, घुघरी

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