वनवासी लीला नाटयों में निषादराज व शबरी के जीवन चरित्र पर दी प्रस्तुति
लोक कलाकारों द्वारा लोक कलाओं का किया गया मंचन
मंडला। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के परिपालन में मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा तैयार रामकथा साहित्य में वर्णित वनवासी चरितों पर आधारित Óवनवासी लीलाओंÓ क्रमश: भक्तिमती शबरी और निषादराज गुह्य की प्रस्तुतियाँ जिला प्रशासन के सहयोग से प्रदेश के 89 जनजातीय ब्लॉकों में होंगी। इस क्रम में जिला प्रशासन मंडला के सहयोग से दो दिवसीय वनवासी लीलाओं की प्रस्तुतियां आयोजित की जा रही हैं। प्रस्तुतियों की श्रृंखला में सर्वप्रथम 21 मई को शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय बीजाडांडी में अंजली शुक्ला के निर्देशन में वनवासी लीला भक्तिमति शबरी की प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति का आलेख योगेश त्रिपाठी एवं संगीत संयोजन मिलिन्द त्रिवेदी द्वारा किया गया है। प्रथम दिन कार्यक्रम के शुभारंभ के दौरान मंच पर इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, स्थानीय जनप्रतिनिधि और संबंधित के साथ अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।
वनवासी लीला नाट्य भक्तिमति शबरी कथा में बताया कि पिछले जन्म में माता शबरी एक रानी थीं, जो भक्ति करना चाहती थीं लेकिन माता शबरी को राजा भक्ति करने से मना कर देते हैं। तब शबरी माँ गंगा से अगले जन्म भक्ति करने की बात कहकर गंगा में डूबकर अपने प्राण त्याग देती हैं। अगले दृश्य में शबरी का दूसरा जन्म होता है और गंगा किनारे गिरि वन में बसे भील समुदाय को शबरी गंगा से मिलती हैं। भील समुदाय शबरी का लालन-पालन करते हैं और शबरी युवावस्था में आती हैं तो उनका विवाह करने का प्रयोजन किया जाता है लेकिन अपने विवाह में जानवरों की बलि देने का विरोध करते हुए, वे घर छोड़कर घूमते हुए मतंग ऋषि के आश्रम में पहुंचती हैं, जहां ऋषि मतंग माता शबरी को दीक्षा देते हैं। आश्रम में कई कपि भी रहते हैं जो माता शबरी का अपमान करते हैं। अत्यधिक वृद्धावस्था होने के कारण मतंग ऋषि माता शबरी से कहते हैं कि इस जन्म में मुझे तो भगवान राम के दर्शन नहीं हुए, लेकिन तुम जरूर इंतजार करना भगवान जरूर दर्शन देंगे।
लीला के अगले दृश्य में गिद्धराज मिलाप, कबंद्धा सुर संवाद, भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग मंचित किए गए। भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग में भगवान राम माता शबरी को नवधा भक्ति कथा सुनाते हैं और शबरी उन्हें माता सीता तक पहुंचने वाले मार्ग के बारे में बताती हैं। लीला नाट्य के अगले दृश्य में शबरी समाधि ले लेती हैं। यह दो दिवसीय कार्यक्रम प्रतिदिन सायं 7:30 बजे से आयोजित किया जा रहा है।
प्रस्तुति की शुरूआत में बताया कि भगवान राम ने वन यात्रा में निषादराज से भेंट की। भगवान राम से निषाद अपने राज्य जाने के लिए कहते हैं लेकिन भगवान राम वनवास में 14 वर्ष बिताने की बात कहकर राज्य जाने से मना कर देते हैं। आगे के दृश्य गंगा तट पर भगवान राम केवट से गंगा पार पहुंचाने का आग्रह करते हैं लेकिन केवट बिना पांव पखारे उन्हें नाव पर बैठाने से इंकार कर देता है। केवट की प्रेम वाणी सुन, आज्ञा पाकर गंगाजल से केवट पांव पखारते हैं।
वनवासियों के परस्पर संबंध को किया उजागर:
नदी पार उतारने पर केवट राम से उतराई लेने से इंकार कर देते हैं। कहते हैं कि हे प्रभु हम एक जात के हैं मैं गंगा पार कराता हूं और आप भवसागर से पार कराते हैं इसलिए उतरवाई नहीं लूंगा। लीला के अगले दृश्यों में भगवान राम चित्रकूट होते हुए पंचवटी पहुंचते हैं। सूत्रधार के माध्यम से कथा आगे बढ़ती है। रावण वध के बाद श्री राम अयोध्या लौटते हैं और उनका राज्याभिषेक होता है। लीला नाट्य में श्री राम और वनवासियों के परस्पर संबन्ध को उजागर किया गया।
इनकी रही उपस्थिति :
नगर पालिका परिसर, जिला मंडला में वनवासी लीला नाट्य निषादराज की प्रस्तुति दी गई। प्रथम दिन कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन से हुआ। इस दौरान मंच पर नगर पालिका अध्यक्ष पूर्णिमा अमित शुक्ला, उपाध्यक्ष गिरीश चंदानी, एसीड्ब्लूटी विजय टेकाम, सीएमओ गजानंद नाफड़े एवं अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी मौजूद रहे। प्रस्तुति का आलेख योगेश त्रिपाठी एवं संगीत संयोजन मिलिन्द त्रिवेदी द्वारा किया गया है। वनवासी लीला नाट्य निषादराज गुह्य की प्रस्तुति दी गई। वहीं बीजाडांडी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यक मोर्चा जिलाध्यक्ष जाकिर हुसैन, भाजपा जिला मंत्री संदीप नामदेव, मंडल अध्यक्ष रामचंद यादव, मंडल महामंत्री एवं अजीत श्रीवास्तव जिलापंचायत सदस्य पुसवा सिंह उद्दे, वरिष्ठ समाजसेवी जयप्रकाश श्रीवास्तव, मंडल महामंत्री भागवत गौठरिया, सरपंच जगदीश तेकाम, मंडल उपाध्यक्ष मोहमद सफर, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पद्मश्री शेख गुलाब, बीजाडांडी के लोक कलाकार रफीक खैरागढी और राकेश कुमार कुरेले मौजूद रहे।
Acchi prastuti
Nice
Good One