दस वर्ष में 60 हजार 940 जांचे, 574 मिले एड्स पाजीटिव

in #male-class2 years ago

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  • एड्स के मरीजों में पुरूष वर्ग ज्यादा

  • सबसे ज्यादा जांचे गर्भवती महिला की

  • जागरूकता से बचाव संभव

  • प्रहलाद कछवाहा
    मंडला. एड्स एक लाइलाज बीमारी है, इस बीमारी में व्यक्ति के अंदर रोग से लडऩे की अत्यधिक क्षमता कम हो जाती है एवं व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ता है। जिले में पिछले 10 सालों में एड्स रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। जिले में वर्ष 2013 से अक्टूबर 2022 तक इन दस वर्षो में 60940 पुरूष, महिला और गर्भवती महिलाओं की जांच की गई। जिसमें 574 एड्स रोगी सामने आए है। समय के साथ परिस्थितियां भी बदली है। एड्स के कारण और निवारण के प्रति लोग जागरूक हुए है। जिसके चलते साल दर साल एड्स की जांच के मामलों में वृद्धि हुई है। यही वजह है कि एड्स रोगी सामने आ रहे है। वर्ष 2013 में 5542 एड्स की जांच की गई। जिसमें 1923 पुरूषों और 771 महिलाओं ने एड्स की जांच कराई। जिसमें 34 पुरूष एवं 10 महिलाएं पॉजीटिव निकली। इसी तरह वर्ष 2013 में गर्भवती स्त्रियों की जांच की गई, जिसमें 2848 गर्भवती महिलाओं में से 12 पॉजीटिव निकली। वर्ष 2013 का आंकड़ा वर्ष 2019 में बढ़ गया। वर्ष 2019 में 9415 जांच की गई। जिसमें 1343 पुरूष, 2737 महिलाएं और 5335 गर्भवती महिलाओं ने एड्स की जांच कराई। जिसमें 33 पुरूष, 34 महिलाएं और 09 गर्भवती महिलाएं पॉजीटिव आई। इसी तरह वर्ष 2021 में जांचों का आंकड़ा 6739 रहा। जिसमें 43 पुरूष, 25 महिला और 04 गर्भवती महिलाएं पॉजीटिव आई। एड्स के मरीजों को समय समय में चिकित्सी सलाह एवं उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। एड्स से बचने के उपाय भी लोगों को बताए जा रहे है।

बता दे कि हर वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करना है। जागरूकता के तहत लोगों को एड्स के लक्षण, इससे बचाव, उपचार, कारण इत्यादि के बारे में जानकारी दी जाती है और इसके साथ ही जागरूक करने के लिए कई अभियान चलाए जाते हैं जिससे इस महामारी को जड़ से खत्म करने के प्रयास किए जा सकें। साथ ही एचआईवी एड्स से ग्रसित लोगों की मदद की जा सकें।

  • 33 हजार 392 गर्भवती की जांच, 58 पॉजीटिव :
    वर्ष 2013 से अक्टूबर 2022 तक 33 हजार 392 गर्भवती महिलाओं की जांच की गर्ई। इन दस वर्षो में जांच के दौरान 58 महिलाएं एचआईवी पॉजीटिव आई। एचआईवी जांच में पुरूष वर्ग व महिला वर्ग से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की जांच की जाती है। शासकीय अस्पताल में आने वाली प्रत्येक गर्भवती महिला की एचआईवी जांच की जाती है। इन दस वर्षो में वर्ष 2013 में 12 गर्भवती महिला पॉजीटिव थी, जिसके बाद आंकड़े कम होते गए। वर्ष 2018 में 5 गर्भवती महिला पॉजीटिव आई। जिसके बाद इन आंकड़ों की रफ्तार बढऩे लगी। वर्ष 2019 में 09 केस, वर्ष 2020 में 10 केस, वर्ष 2021 में 04 केस और वर्ष 2022 अक्टूबर तक 06 पॉजीटिव केस मिले।

  • वर्ष 2020 में 79 एचआईवी पॉजीटिव :
    बता दे कि इन नौ सालों में वर्ष 2013 से सितंबर 2021 तक 479 एचआईवी पॉजीटिव केस मिले है। वर्ष 2013 में 56 केस मिले, जिसके बाद यह आंकड़ा वर्ष 2014 से 2017 तक 30 से 50 के बीच रहा। लेकिन वर्ष 2018 से संक्रमितों की संख्या में एक दम से बढ़ोत्तरी हुई। जिसमें 2018 में 8793 जांच करने के बाद 74 एचआईवी संक्रमित केस मिले। इसी तरह 2019 में 9415 व्यक्तियों की जांच में 76 केस निकले। यह आंकड़ा कम होने के वजाए फिर बढ़ा और 2020 में 6093 जांच में 79 पॉजीटिव, वर्ष 2021 में 6739 जांच में 72 पॉजीटिव और वर्ष अक्टूबर 2022 में 3279 जांचोंं में अभी तक 55 पॉजीटिव केस सामने आए।

  • जागरूकता से बचाव :
    एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशियेन्सी सिन्ड्रोम (एड्स) के बारे में आज शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। सरकार और समाजसेवी संस्थाओं द्वारा समय-समय पर विभिन्न तरीकों से एड्स के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है पर विडंबना यह है कि लोग जानकर भी अनजान बने हुए हैं। हर साल की तरह आज भी विश्व एड्स दिवस मनाया जाएगा। जिसके तहत लोगों को जागरूक किया जाएगा। पर एक सच यह भी है कि आज भी हमारे देश में, हमारे शहर में एड्स के चक्रवात में फँसे लोगों की स्थिति बेहतर नहीं है। आखिर इसकी क्या वजह है, स्थिति में कितना सुधार है और संस्थाओं द्वारा इस क्षेत्र में कितना बेहतर कार्य किया जा रहा है, यह भी सोचनीय है।

  • निम्न आय वर्ग में अधिक रोगी :
    भारत में आज भी जिन्हें एड्स है वे यह बात स्वीकारने से कतराते हैं। इसकी वजह है घर में, समाज में होने वाला भेदभाव। कहीं न कहीं आज भी एचआईवी पॉजीटिव व्यक्तियों के प्रति भेदभाव की भावना रखी जाती है। यदि उनके प्रति समानता का व्यवहार किया जाए तो स्थिति और भी सुधर सकती है। बात अगर जागरूकता की करें तो लोग जागरूक जरूर हुए हैं इसलिए आज इसके प्रति काउंसलिंग कराने वालों की संख्या बढ़ी है। पर यह संख्या शहरी क्षेत्र के और मध्यम व उच्च आय वर्ग के लोगों तक ही सीमित है। निम्न वर्ग के लोगों में अभी भी जानकारी का अभाव है। इसलिए भी इस वर्ग में एचआईवी पॉजीटिव लोगों की संख्या अधिक है। जबकि बहुत सी संस्थाएँ निम्न आय वर्ग के लोगों में इस बात के प्रति जागरूकता अभियान चला रही हैं। लोग कारण को जानने के बाद भी सावधानियाँ नहीं बरतते। जिन कारणों से एड्स होता है उससे बचने के बजाए अनदेखा कर जाते हैं। इसमें अधिकांश लोग असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित रक्त के कारण एड्स की चपेट में आते हैं।

  • युवा वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित :
    आंकड़ो की माने तो जिले में एड्स से पीडि़त लोगों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग ही शामिल है। जिसके बाद भी लोग कारण को जानने के बाद भी सावधानियाँ नहीं बरतते। जिन कारणों से एड्स होता है उससे बचने के बजाए अनदेखा कर जाते हैं। इसमें अधिकांश लोग असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित रक्त के कारण एड्स की चपेट में आते हैं। यही वजह है कि जिले में एड्स रोगियों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग है।

  • एचआईवी के बचने के उपाय :
    एचआईवी से बचने के लिए लोगों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। जिससे इस रोग की चपेट में आने से बचा जा सके। इस रोग से बचने के लिए अपने साथी के साथ वफादारी रखें। यौन संबंध के दौरान कंडोम का सही और सतत् इस्तेमाल करे, केवल लाइसेंस प्राप्त रक्त बैंक से जांच किये गये खून का इस्तेमाल करे, हर बार नई या उबली हुई और सीरिंज का इस्तेमाल करे, गर्भावस्था के दौरान एचआईवी की जांच और उपयुक्त इलाज जरूर कराएं।

  • एचआईवी, एड्स संक्रमण कैसे नहीं फैलता:
    एचआईवी, एड्स संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के छूने से नहीं फैलता है, एचआईवी व्यक्ति के साथ खाना खाने से, सामान्य सामाजिक व्यवहार जैसे हाथ मिलाने, गले मिलने से, खाने के बर्तन, कपड़े, बिस्तर शौचालय टेलीफोन आदि के उपयोग से नहीं होता। खांसने, छींकने या हवा से, मच्छरों के काटने, या घरों में पाये जाने वाले कीड़े -मकोड़ों के काटने से एड्स का संक्रमण नहीं होता।

  • इनसे होता है एचआईवी संक्रमण :
    संक्रमित रक्त।
    संक्रमित सुई एवं सीरिंज।
    असुरक्षित यौन संबंध।
    संक्रमित माँ से शिशु को।

  • ये है तथ्य :
    भारत में लाखों एड्स पीडि़त हैं।
    जिले में 574 लोगों को एड्स है।
    अधिकांश रोगी निम्नवर्ग के होते हैं।
    घर से दूर रहने वाले लोगों में एड्स का खतरा बढ़ जाता है।
    नशे के लिए सुइयों की साझेदारी कर भी दावत दी जाती है एड्स को।

  • नोट- अप्रैल 2013 से अक्टूबर 2022 तक कुल जांच एवं नतीजे

पुरूष
वर्ष जांच पॉजीटिव
2013 1923 34
2014 954 21
2015 897 18
2016 1092 22
2017 1809 26
2018 1317 36
2019 1343 33
2020 1222 35
2021 1525 43
2022 927 35
योग 13009 303

महिला
वर्ष जांच पॉजीटिव
2013 771 10
2014 1034 12
2015 1214 14
2016 1123 15
2017 1237 22
2018 1782 33
2019 2737 34
2020 1829 34
2021 1573 25
2022 1239 14
योग 14539 213

गर्भवती महिला
वर्ष जांच पॉजीटिव
2013 2848 12
2014 3140 03
2015 2253 02
2016 2917 04
2017 3409 03
2018 5694 05
2019 5335 09
2020 3042 10
2021 3641 04
2022 1113 06
योग 33392 58

वर्ष 2013 से अक्टूबर 2022 तक
वर्ग जांच पॉजीटिव

पुरूष 13009 303
महिला 14539 213
गर्भवती 33392 58
महिला
योग 60940 574