घर में मां भूखी बैठी हो तो मंदिर में प्रसाद चढ़ाने का कोई फायदा नहीं- पं. संतोष शास्त्री
भगवान शिव-पार्वती के विवाह में जमकर झूमे श्रद्धालु
मंडला। महाराजपुर अंतर्गत गोकुलधाम के खैरमाई माता पहाड़ी के नीचे चल रही श्रीमद देवी महापुराण की पांचवे दिन की कथा के शिव-पार्वती विवाह प्रसंग पर महिलाओं और युवतियों ने उत्सवी माहौल बना दिया। शनिवार को भगवान शिव-पार्वती के विवाह की कथा होने के चलते पूरे पण्डाल को फूलों, फूल मालाओं, गुब्बारों से सजाया गया था। कथा वाचक पं. संतोष शास्त्री पदमी वाले ने बताया कि माता पार्वती राजा हिमालय के घर अवतरित हुई। बेटी के बड़ी होने पर पर्वतराज को उसकी शादी की चिंता सताने लगी। माता पार्वती बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। एक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया। शास्त्री जी ने बताया कि नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत-पिशाचों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचंभित हो गए, लेकिन माता पार्वती ने खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार किया। विवाह प्रसंग के दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी पर श्रद्धालुओं ने पुष्प बरसाए।
शास्त्री जी ने कथा के माध्यम से समाज को संदेश दिया कि बड़े-बड़े कष्ट मां जगत जननी के पास लोग ले जाते हैं। अनेकों देवी-देवताओं का पूजा करते हैं। लेकिन जगत जननी भी यही कहती हैं कि यदि घर में मां भूखी बैठी हो तो यहां प्रसाद चढ़ाने का कोई फायदा नहीं। जिस घर में मां बाप का सेवा होता है वहां भगवान भी खुश होते हैं। कथा व्यास ने विवाह प्रसंग के दौरान सुंदर भजनों की प्रस्तुति भी दी, जिसे सुनकर पण्डाल में उपस्थित श्रद्धालु जमकर झूम रहे थे।
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