तिरंगा झण्डा बनाने में भी लापरवाही
- अच्छी क्वालिटी के कपड़े का नहीं हो रहा उपयोग
- निर्धारित समय में कैसे होगा राष्ट्रीय ध्वज बनाने का लक्ष्य
मंडला। लोगों में राष्ट्र भक्ति की भावना को बढ़ावा देने के लिए इस बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर घर-घर तिरंगा झण्डा फहराने की तैयारी प्रशासन द्वारा की जा रही है। जिसके लिए जोर-शोर से विभिन्न महिला समूहों की मदद से तिरंगा ध्वज बनवाने की तैयारी की जा रही है। बता दे कि कुछ स्थानों में तिरंगा ध्वज बनाने में भी लापरवाही सामने आ रही है।
जानकारी अनुसार तिरंगा ध्वज बनाने में अच्छी क्वालिटी का कपड़ा उपयोग करने के लिए कहा गया है वहीं मलारा स्थित सहकारी समिति मलारा परिसर में भी राष्ट्रीय ध्वज बनाने का काम कराया जा रहा है जिसमें 30 जुलाई तक करीब 10 हजार झंडे बनाने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन यहां मात्र इस काम के लिए 6-7 महिलाएं ही काम कर रही है। राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए महिलाओं को टेरीकॉट का कपड़ा उपलब्ध कराया गया है। जिसकी क्वालिटी अच्छी नहीं है।
इस संबंध में अनिल साहू, प्रबंधक, लेम्पस समिति का कहना है कि अन्य कपड़े का उपयोग महंगा साबित होगा, इसलिए सूती नहीं बल्कि टेरीकॉट के कपड़े राष्ट्रीय ध्वज निर्माण के लिए महिलाओं को दिए गए हैं। इस तरह जहां तिरंगा झण्डा बनाने में अभी से लापरवाही सामने आ रही है वहीं जिस गति से यह काम चल रहा है उससे निर्धारित समय में झण्डे नहीं बन पाएंगे। जिससे घर-घर तिरंगा झण्डा फहराने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा।