कथावाचक अनिरुद्धाचार्य की बढ़ी मुसीबत, NCW ने कठोर कार्रवाई के लिए UP के DGP को लिखा पत्र

in #religious2 years ago

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आगरा/मथुरा। माता सीता और द्रोपदी सहित महिलाओं को लेकर अपमानजनक बयान देने वाले वृंदावन के कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग NCW ने उत्‍तरप्रदेश के DGP को पत्र लिखा है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने सात दिन में इसे लेकर अवगत कराने को भी कहा है।

गौरतलब है कि मूल रूप से मध्‍यप्रदेश के दामोह निवासी व वृंदावन में रह रहे कथावाचक अनिरुद्धाचार्य द्वारा अपने प्रवचनों में माता सीता और द्रौपदी पर अपमानजनक शब्‍द कहे गए थे जिसकी जानकारी मिलने पर महिला आयोग सख्‍त नाराज़ है। बताया जाता है कि अनिरुद्धाचार्य ने एक बार नहीं, बल्कि कई बार धर्म और संस्कृति के खिलाफ अनर्गल प्रलाप करके अपने बड़बोलेपन और अज्ञानता का परिचय दिया है।

बताया जाता है कि सर्वप्रथम कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के कृत्य पर प्रख्‍यात कवि डॉ. कुमार विश्वास ने ध्‍यान दिया था और ट्विटर पर उसके वीडियो पोस्‍ट करके लोगों से भी संज्ञान लेने को कहा था। कथावाचक अनिरुद्धाचार्य द्वारा हिंदू धर्म और महिलाओं पर की गईं विवादित टिप्‍पणियों को लेकर मथुरा-वृंदावन के भी तमाम लोग आहत हुए। वृंदावन के ही निवासी और भारतीय नमो संघ यूपी के अध्‍यक्ष उदयन शर्मा को भी तथाकथित कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा जिसके परिणाम स्‍वरूप अब कथावाचक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की उम्मीद जगी है अन्‍यथा मथुरा पुलिस तो इस गंभीर मुद्दे को ठंडे बस्‍ते में डाल चुकी थी।

राष्ट्रीय महिला आयोग ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का एक अन्‍य वीडियो भी संलग्न किया है जिसके अनुसार अनिरुद्धाचार्य महिलाओं के ऊपर यौन अपराध का आरोप लगाकर समाज को गलत संदेश दे रहे हैं।

राष्‍ट्रीय महिला आयोग की अध्‍यक्ष रेखा शर्मा ने पुलिस महानिदेशक यूपी डी. एस. चौहान से अधिनियम 1990 की धारा 10(1)(1) के तहत प्रदत्त अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्‍त संदर्भ में स्वत: संज्ञान लेकर उचित धाराओं में कार्रवाई की संस्‍तुति की है।

आयोग ने कहा कि वह कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बयान की कड़ी निंदा करता है क्योंकि उनकी टिप्पणी अपमानजनक और महिलाओं की गरिमा का उल्लंघन है इसलिए कथावाचक के खिलाफ कानून के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के साथ भारतीय दंड संहिता के प्रावधान के तहत तुरंत प्राथमिकी दर्ज की जाये और प्राथमिकता के आधार पर गिरफ्तार किया जाये। इसके साथ साथ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर आयोग को भेजी जाए।