लेखिका गीतांजलि को प्रतिष्ठित बुकर अवार्ड, उपलब्धि पर मैनपुरी में खुशी का माहौल
आगरा। मैनपुरी में जन्मी प्रख्यात उपन्यासकार गीतांजलि श्री को बुकर पुरस्कार मिलने पर जिले के साहित्यकारों ने खुशी जताई है। उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ (रेत समाधि) को मिले पुरस्कार की लेखिका गीतांजलि श्री छह दशक पहले मैनपुरी में ही जन्मी थीं।
माई, हमारा शहर उस बरस, तिरोहित, खाली जगह, रेत-समाधि और चार कहानी-संग्रह अनुगूंज, वैराग्य, प्रतिनिधि कहानियां, यहां हाथी रहते थे़ छप चुके हैं। अंग्रेजी में एक शोध-ग्रंथ और अनेक लेख प्रकाशित हुए हैं। इनकी रचनाओं के अनुवाद भारतीय और यूरोपीय भाषाओं में हुए हैं।
साहित्यकार स्व. नरेश चंद सक्सेना ने मैनपुरी के साहित्यकार नाम से एक पुस्तक लिखी थी। इसमें जिले में जन्मे लेखक और साहित्यकारों का जीवन परिचय और योगदान आदि शामिल है। स्व. सक्सेना के छोटे भाई साहित्यकार डा. चंद्रमोहन सक्सेना ने बताया कि इस पुस्तक लिखते समय गीतांजली श्री से संपर्क किया गया था, लेकिन उन्होंने रूचि नहीं दिखाई।
बुकर पुरस्कार इंग्लैंड द्वारा लेखन के क्षेत्र में दिया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है। इसकी स्थापना सन 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी। इसमें 50 हजार पाउंड की राशि लेखक को दी जाती है। पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की सूची तैयार की जाती है, पुरस्कार वाले दिन की शाम के भोज में पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है। पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को मिला था।
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