लेबर चौक पर काम की तलाश में गर्मी से बेहाल मजदूर, टीन शेड,पानी व टॉयलेट के अभाव में गुजार रहे दिन
आगरा। पर्यटन नगरी आगरा में दिहाड़ी मजदूरी के लिए लेबर चौक पर खड़े रहने वाले मजदूरों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना तो दूर उन्हें मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ता है। भीषण गर्मी में ना तो पीने के लिए पानी मिलता है और ना टॉयलेट की व्यवस्था है। 30 से 40 किमी की दूरी तय करके रोजाना काम की तलाश में खड़े रहने वाले मजदूर कभी-कभी बिना काम के लिए लौट जाते हैं।
हैरत इस बात की है कि सरकार मजदूरों के लिए ई श्रम कार्ड बनवाकर उन्हें आर्थिक लाभ दे रही है, लेकिन सरकारी मशीनरी को इससे कोई इत्तेफाक नहीं है। यही वजह है कि काम की तलाश लिए भीषण गर्मी में भी इन्हें बिना शेल्टर के कड़ी धूप में घंटों खड़े रहना पड़ता है।
आगरा में सिकंदरा, शाहगंज, बेलनगंज, ट्रांस यमुना कालोनी, बोदला, कमला नगर आदि पर लेबर चौक हैं। अकेले ट्रांस यमुना कालोनी के रॉयल चौराहे रोजाना 400 से 450 मजदूर काम की तलाश में हाथों में औजार लेकर खड़े रहते हैं, लेकिन सिर्फ 60 से 70 लोगों को ही काम मिल पाता है। खंदौली से रोजाना मजदूरी की तलाश में आने वाला धर्मेश 15 से 16 वर्ष तीन बहनों में इकलौता भाई है।
पिता की मौत के बाद मजूदूरी में लगा नौवीं पास धर्मेश
कक्षा नौवीं तक पढ़ चुका धर्मेश के पिता की मौत के बाद घर चलाने की जिम्मेदारी उसके कंधे पर आ गई है। अब वह रोजाना काम की तलाश में आता है। कभी काम मिलता है तो 350 रुपये घर ले जाता है। टेढ़ी बगिया की मदीना कहती हैं कि वे रोजाना तपती दुपहरी में लेबर चौक पर आती हैं। प्यास लगने पर पैसे खरीदकर पानी पीना पड़ता है। टॉयलेट आने पर पांच रुपये देकर टॉयलेट में जाना पड़ता है। 15 साल से बरहन से काम की तलाश में आने वाले खेमचंद का कहना है कि सरकार चाहे लाख दावे कर ले, लेकिन सरकारी मशीनरी को इनका कोई ध्यान नहीं है। श्रम विभाग व जिला प्रशासन से कभी कोई अधिकारी इनकी सुध लेने नहीं आता है।
कोशिश फाउंडेशन ने जिला प्रशासन को दिए सुझाव
जिला प्रशासन और श्रम विभाग के अधिकारियों से कोशिश फाउंडेशन के अध्यक्ष समाजसेवी नरेश पारस ने मजदूरों को सहुलिएतें देने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं जिनमें शहर के सभी लेबर चौकों को चिन्हित कर नगर निगम द्वारा अस्थाई मोबाईल टॉयलेट स्थापित कराए जाएं।