भारत में मंकीपाक्स की दस्तक के बाद ताज नगरी में हाईअलर्ट, विदेशी सैलानियों पर रखी जा रही नजर
आगरा। आगरा में देश के नहीं हजारों की संख्या में विदेशी सैलाना भी ताज के दीदार के लिए आते हैं। कोविड-19 के बाद पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई। ताज और उसके आसपास के क्षेत्रों कोविड-19 मीटिंग भी की जा रही थी। विदेश से आने वाले सैलानियों के माध्यम से कोविड-19 के फैलने का एक बड़ा भय था। अब एक बार फिर मंकीपाक्स दुनिया भर में दहशत मचाए हुए हैं। बीते दिनों दक्षिण भारत में इसने दस्तक भी दे दी। ताजमहल में अमेरिका यूएई एवं संयुक्त अरब अमीरात से घूम कर आते हैं। आगरा में ऐसे पर्यटक हो और शहर के लोगों पर नजर रखी जा रही है जैसे मंकीपाक्स जैसी घातक बीमारी को आगरा और देश में फैलने से रोका जा सके।
भारत में मंकीपाक्स का पहला केस मिलने के बाद अलर्ट जारी किया गया है। यहां ताजमहल का दीदार करने के लिए विदेशी पर्यटक आते हैं, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की रैपिड रेस्पोंस टीम को सक्रिय कर दिया गया है। यूएई संयुक्त अरब अमीरात से आने वाले पर्यटक और यूएई से घूम कर रहा रहे लोगों पर नजर रखी जाएगी।
सीएमओ डा.अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि, यूएई, अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोप के कुछ देशों में मंकीपाक्स के केस मिले हैं। इन देशों से ताजमहल घूमने के लिए आ रहे पर्यटकों पर नजर रखी जाएगी। मंकीपाक्स संदिग्ध मिलने पर आइसोलेट किया जाएगा। इसके साथ ही सैंपल भी लिए जाएंगे। मंकीपाक्स से पीड़ित मरीजों में बुखार के बाद शरीर पर चकत्ते और घाव हो जाते हैं। यह लक्षण चार सप्ताह तक रहते हैं।
संदिग्ध मरीजों के घाव के तरल पदार्थ, रक्त, बलगम के सैंपल लेकर जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी पुणे भेजे जाएंगे। वहीं, मंकीपाक्स की रिपोर्ट पाजिटिव आने पर 21 दिन के दौरान संपर्क में आए लोगों के भी सैंपल की जांच कराई जाएगी। इसके लिए टीम गठित की गई है।
मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से संक्रमित होने की आशंका रहता है। इसके साथ ही संक्रमित जानवर के काटने से या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ या फिर उसको छूने से हो सकता है।