परिवार नियोजन में पुरुषों की भी बढ़ रही भागीदारी- नसबंदी के प्रति जागरुक हो रहे लोग

in #agra2 years ago

IMG-20220623-WA0201.jpgआगरा।परिवार नियोजन में पुरुष भी अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। इसे अब केवल महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं समझा जा रहा, बल्कि पुरुष भी इसमें अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। अब तक पुरुष नसबंदी को लेकर धारणा है कि इससे शारीरिक कमजोरी आती है। जबकि यह सरल और सुरक्षित है। सैंया ब्लॉक निवासी 49 वर्षीय हरी चंद ने दस माह पहले अपनी नसबंदी कराई थी। उन्होंने बताया कि उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि उनके तीन बेटे हैं। वे अब और बच्चे नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपनी नसबंदी करा ली। इसमें उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। यह काफी आसानी से हो गया। उन्होंने बताया कि परिवार नियोजन के लिए पुरुषों को भी पहल करनी चाहिए।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि पुरुष नसबंदी चंद मिनट में होने वाली आसान शल्य क्रिया है। यह 99.5 फीसदी सफल है। इससे यौन क्षमता पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है। उनका कहना है कि इस तरह यदि पति-पत्नी में किसी एक को नसबंदी की सेवा अपनाने के बारे में तय करना है तो उन्हें यह जानना जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी बेहद आसान है और जटिलता की गुंजाइश भी कम है। पुरुष नसबंदी होने के कम से कम तीन महीने तक परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों का प्रयोग करना चाहिए, जब तक शुक्राणु पूरे प्रजनन तंत्र से खत्म न हो जाएं। नसबंदी के तीन महीने के बाद वीर्य की जांच करानी चाहिए। जांच में शुक्राणु न पाए जाने की दशा में ही नसबंदी को सफल माना जाता है। उन्होंने कहा कि नसबंदी की सेवा अपनाने से पहले चिकित्सक की सलाह भी जरूरी होती है ।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक कुलदीप भारद्वाज ने बताया कि पुरुष नसबंदी करवाने पर लाभार्थी को तीन हजार रुपये उसके खाते में दिये जाते हैं । पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं- पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। गैर सरकारी व्यक्ति के अलावा अगर आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक की भूमिका निभाती हैं तो उन्हें भी 400 रुपये देने का प्रावधान है ।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने बताया कि जिले में वित्तीय वर्ष 2018-19 में 52 पुरुषों ने नसबंदी करवाई और 2019-20 में 188 पुरुषों ने नसबंदी करवाई । 2020-21 में 32 पुरुषों ने नसबंदी करवाई वहीं वर्ष 2021-22 में 49 पुरुषों ने नसबंदी करवाई है । कंडोम का इस्तेमाल साल दर साल बढ़ा है । वर्ष 2018-19 में 1800825 लाख , वर्ष 2019-20 में 2064214 लाख, वर्ष 2020-21 में 1654209 लाख वर्ष 2021-22 में 1646141 लाख कंडोम सरकारी क्षेत्र से इस्तेमाल हुए ।

यह भी प्रावधान
डीपीएम बताते हैं कि नसबंदी के विफल होने पर 60,000 रुपए की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर चार लाख रुपए की धनराशि दी जाती है । नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर एक लाख रुपए की धनराशि दिये जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 50,000 रुपए की धनराशि दी जाती है ।IMG-20220623-WA0201.jpg

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very nice work