बहुत कम लोग ऐसे होते है जो अपने लिए नहीं समाज कल्याण के लिये जीते है

in #ballia2 years ago

जयप्रकाश नगर (बलिया ,यूपी ) । यह कहना भी गलत नहीं होगा कि आज लोग थोड़ा करते हैं और अपने नाम के लिए मरते हैं । बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो अपने लिए नहीं समाज के कल्‍याण के लिए जीते हैं । कभी सिताबदियारा में ऐसे ही एक महान संत का पदापर्ण हुआ, जिनके बदौलत यहां सेवा दास शिव मंदिर, की स्‍थापना संभव हो सकी। सावन में यहां का शिव मंदिर पूरे सिताबदियारा वासियों के लिए आस्था का केंद्र बन जाता है। गंगा से जल भरकर हजारों लोग प्रत्येक सोमवार को इसी मंदिर में जलाभिषेक करते हैं। मंदिर समिति की ओर से उनके लिए प्रत्येक सोमवार को विशेष व्यवस्था की जाती है।

महान संत सागरदास से जुड़ा है मंदिर का इतिहास

स्‍थानीय क्षेत्र के लोग भी उस महान संत के व्‍यक्तिगत जीवन के विषय में बहूत कुछ ज्‍यादा नहीं जानते । दरअसल उन्‍होंने अपने व्‍यक्गित जीवन के विषय में लोगों को बहुत कुछ बताया भी नहीं । जहां से लोगों को जानकारी है, बताते हैं कि आजादी से पहले ही 1930 के आसपास सिताबदियारा में बंगाल के एक संत सेवादास बाबा अपने शिष्‍य सागरदास के सांथ यहां आए थे । कुछ दिन यहां रहने के बाद सेवादास बाबा यहां से जंगल की ओर तपस्‍या के लिए निकल गए । अपने शिष्‍य सागरदास को यहां इसलिए छोड़ गए ताकि वह इसी पावन धरती पर जनकल्‍याण के कार्यों में लग जांए । हुआ भी यही । सागरदास इस धरती पर कई जनकल्‍याण से जुड़े कार्य किए । सागरदास की मंशा थी कि उनके गुरू के नाम से यहां कुछ हो । तभी यहां संपूर्ण सिताबदियारा वासियों के प्रयास से एक भव्‍य शिव मंदिर की स्‍थापना की गई, जिसका नामकरण सेवाश्रम सेवादासधाम किया गया । इतना कुछ करने के बाद भी सागरदास ने अपना नाम कहीं नहीं जोड़ा । अपना संपूर्ण जीवन ही समर्पित कर दिया अपने गुरू सेवादास के नाम । उनके ही प्रयास से उस स्‍थान पर सेवादास शिव मंदिर, बाग-बगीचे, धर्मशाला, आदि आज भी स्‍थापित हैं ।