कुर्सी पर न अधिकारी बैठते हैं न ही कर्मचारी,फरियादी भटकने को मजबूर
औरैया: घर से इस उम्मीद के साथ निकलते हैं कि आज अफसर सुनेंगे और कुछ कहेंगे। समस्या को दूर करने के लिए उनकी कलम प्रार्थनापत्र पर चलेगी। लेकिन, साहब! ऐसा होता नहीं। कुछ ऐसा ही कहना है सदर तहसील पहुंचने वाले ज्यादातर फरियादियों का। गुरुवार को इसकी एक बानगी दिखी। लेखपालों के आने-जाने का कोई समय नहीं था। पूरे दिन भटकने को मजबूर हुए फरियादी थक-हार कर लौटते दिखाई दिए।
सरकारी तंत्र द्वारा फरियादियों की न सुनने की शिकायतें अक्सर मुख्यमंत्री तक जनसुनवाई पोर्टल या फिर डाक द्वारा पहुंचती है। कई फरियादी उन तक पहुंचकर अपनी बात रखते हैं। पीड़ा सुनी जाती हैऔर उसे दूर करने का आश्वासन देने के साथ संबंधित अमले के अधिकारी को चेताते हुए निर्देश दिए जाते हैं। इसका असर भी देखने को मिलता है। लेकिन, अफसर कुछ समय बीतने के बाद सरकार के आदेश को भूल बैठते हैं। जिस कारण फरियादी परेशान होते और चक्कर लगाते रहते हैं।