फतेहपुरसीकरी के 40 गांवों का टूटा सपना, नहीं बन सकेगी नहर, मांगी जा रही रूड़की आईआईटी से मदद
आगरा। फतेहपुरसीकरी के 40 गांवों का नहर निर्माण का 20 साल पुराना सपना टूट गया। अधिशासी अभियंता सौरव शरद गिरि की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि तकनीकी कारणाें से वहां पर नहर का निर्माण संभव नहीं है। उन्होंने आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर आरडी गर्ग को पत्र लिखा है कि फतेहपुरसीकरी के 40 गांवों की खेती की सिंचाई की समस्या है। जिसके निदान के लिए क्या संभावनाएं हैं, की प्रोजेक्ट रिपोर्ट दिए जाने का आग्रह किया है।
फतेहपुरसीकरी के 40 से अधिक गांवों की पांच हजार हेक्टेयर जमीन असंचित है। यहां की प्रमुख फसलों में सरसो, आलू और गेहूं हैं, जिनकी सिंचाई अभी तक सबमर्सिबलों से करते आ रहे हैं। अगर सिंचाई के संसाधन पर्याप्त मिल जाएं, तो क्षेत्र में खुशहाली का ठिकाना नहीं रहेगा। क्षेत्र आबाद हो जाएगा। इसी उम्मीद के साथ किसान नहर निर्माण की 20 साल से मांग करते आ रहे हैं। समय समय पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि यहां की जनता के साथ खड़े दिखाई दिए हैं। विधायक चाैधरी बाबूलाल ने मई में मुख्यमंत्री से इस संबंध में मुलाकात कर नहर निर्माण की मांग की थी। प्रमुख अभियंता सिंचाई एवं जल संसाधन लखनऊ द्वारा नहरों की सर्वे के लिए अनुसंधान एवं नियोजन खंड अलीगढ़ को नामित किया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तकनीकी कारणों से नहर निर्माण संभव नहीं है। इनके साथ ही फतेहपुरसीकरी के पर्यावरणविद ज्ञान सिंह कुशवाहा इसके लिए विभाग से लेकर हाईकोर्ट तक का दरबाजा खटखटा रहे हैं। इन सभी के प्रयासों के चलते अधीक्षण अभियंता ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने अधिशासी अभियंता सौरव शरद गिरि की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर मौके पर जाकर रिपोर्ट दिए जाने के आदेश दिए थे।
ये बताए कारण
अगर यमुना से फतेहपुरसीकरी के लिए नहर बनाई भी जाए तो, यमुना नदी पर सबसे नजदीक अरतौनी गांव है। जिसकी ऊंचाई 154 मीटर है। यमुना नदी से डाबर सिरौली लगभग 40 किलोमीटर की आकाशीय दूरी है। परिणाम स्वरूप यमुना नदी से सिंचाई के लिए जल गुरूत्व प्रभाव से उपलब्ध करा पाना संभव नहीं है।
ठीक इसी प्रकार उटंगन नदी से भी कई कारणों के चलते जल उपलब्ध कराया जाना संभवन नहीं है।
- किवाड़ नदी अनुसंधान एवं नियोजन खंड अलीगढ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि किवाड़ नदी पर सबसे नजदीकी गांव पिपरिया है, जो राजस्थान में है। जिसकी उंचाई समुद्र तल से 167 मीटर है। किवाड़ नदी से डाबर सिसौली लगभग 14 किलोमीटर की आकाशीय दूरी पर है। दोनों ही क्षेत्रों की बीच में एक पर्वत श्रंखला भी है, जिसके चलते भी संभव नहीं है।
ताकि आगे की हो सके कार्रवाई
अधिशासी अभियंता सौरभ शरद गिरी ने आईआईटी के प्रोफेसर आरडी गर्ग को लिखे पत्र में कहा कि असंचित क्षेत्र के गांवों की जमीन को गूगल मैप पर लगाकर उसका सजरा सलंग्न कर आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजें। ताकि अग्रिम कार्रवाई के लिए काम किया जा सके।
मेरा प्रयास है कि सैकड़ों एकड़ जमीन सिंचाई के अभाव में खराब हो रही है, उसकी सिंचाई हो सके। इसके लिए नहर नहीं तो पाइप लाइन डालकर सिंचाई की व्यवस्था की जानी चाहिए।
ज्ञान सिंह कुशवाहा
किसान सिंचाई के अभाव में पैदावार नहीं ले पा रहा है। वर्षों से नहर निर्माण की मांग करते आ रहा हैं। अब असंभावना व्यक्त कर दी गई है। किसान चुप नहीं बैठेंगे। सिंचाई के संसाधन उपलब्ध कराने ही पड़ेंगे। इसके लिए संघर्ष किया जाएगा।
चौधरी दिलीप सिंह
किसान नेता
राजस्थान सीमा से लगे गांवों में पानी का भीषण संकट है। रिपोर्ट में बताया गया कि तकनीकी कारणों से नहर निर्माण नहीं हो सकता है। इस संबंध में मैं मुख्यमंत्री से एक बार और मिलूंगा।
चौधरी बाबूलाल
विधायक, फतेहपुरसीकरी
फतेहपुरसीकरी में तकनीकी कारणों से नहर निर्माण संभव नहीं है। इसके लिए मौके पर जाकर कई बार पड़ताल की जा चुकी है।
शरद सौरभ गिरि
अधिशासी अभियंता, लोअर खंड आगरा नहर