व्यक्ति के परिणाम मन बचन काय से झलकना ही आर्जव धर्म है ,व्रहमचारी मनोज भैया।
ओबैदुल्लागंज नगर के महावीर मार्ग स्तिथ श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में दसलक्षण पर्व के दौरान चर्या श्रीरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य व्रहमचारी मनोज भैया सोनीपत ने उत्तम आर्जव धर्म की व्याख्या समझाते हुए कहा कि बक्र परिणामों का अभाब भोगों को मन ,बचन,काय से झलकना चाहिए।यही भाव आर्जव है।
भगवान महावीर ने कहां है जिसका व्यवहार जितना सहेज होगा वह उतना ही महान होगा जैसा के दिखावा करने वाले कभी उत्तम आर्जव धर्म को प्राप्त नहीं कर सकते।
आज हमें यही निर्णय करना है भगवान महावीर के सिद्धांत पर चलकर इस जीवन में मुक्त होने के लिए अहम के रिश्तो को तोड़े सरल स्वभावी बने।
नेकी कर कुएं में डालो इस नीति अपनाने ओर जीवन में उत्तम आर्जव धर्म को ग्रहण करे।
इसके पर्व सुबह की मंगल बेला में शान्ति धारा करने का शौभाग्य अंशुल जैन अजय जैन, एवं दूसरे तरफ से सुनील जैन ईशान जैन परिवार को मिला।