उपासना तो रामजी की ही करनी चाहिए – पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज।

in #hardoi2 years ago

IMG-20221020-WA0014.jpgहरदोई :-भगवान श्रीराम तीनों लोक के स्वामी अर्थात राजा हैं और रामजी की एक विशेषता यह भी है कि उनकी जो भी उपासना करता है, उसको वो अपने जैसा शीलवान, शौर्ययुक्त और राजा की तरह बना देते हैं। यह सब जानकर भी किसी और को भजने की क्या आवश्यकता है?
मानस मर्मज्ञ एवं सरस श्रीराम कथा गायन के लिए विश्व प्रसिद्ध कथावाचक प्रेममूर्ति पूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने कैम्ब्रिज स्कूल के प्रांगण में आयोजित कथा के छठे दिन भगवान श्रीराम की वनयात्रा और शौर्यगाथा का गायन करते हुए कहा कि रामचरितमानस जीवन जीने की कला सीखने का खजाना है। पूज्य श्री ने कहा कि कुछ लोगों ने प्रश्न किया था कि आजकल लोग रावण की विद्धता की भी प्रशंसा करते हैं। लेकिन उनको यह सिद्धांत ध्यान में रखना आवश्यक है कि जो व्यक्ति जैसा होता है, उसको अपनी ही प्रकृति का व्यक्ति अथवा चरित्र भला लगता है।
उन्होंने कहा कि अगर चित्त में रामजी हैं तो आपको रामजी ही अच्छे लगेंगे और अगर चित्त और चरित्र में उत्पात भरा है तो रावण ही भला दिखेगा। जिसके हृदय में जो बसा है वो उसी की प्रशंसा करेगा।
स्वर्गीय श्री उपेन्द्र तिवारी जी की पुण्य स्मृति में और माननीय मंत्री रजनी तिवारी जी के संकल्प से आयोजित कथा में प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग दूर-दूर से पधार रहे हैं। शुक्रवार को पूर्णाहूति की कथा दोपहर दो बजे से सायं पाँच बजे तक होगी। पूज्य श्री ने रामजी की वनयात्रा का कारण बताते हुए कहा कि धरती को उत्पात से मुक्त कराने हेतु रामजी ने वनयात्रा की रचना तैयार की थी। उन्होंने आसुरी शक्तियों का समापन करने के लिए कुल 32 चौकियां वन के नरों की सहायता से तैयार थी। रामजी की वन यात्रा हमें यह सीख देती है कि अगर जीवन में श्रेष्ठ कार्य करना है तो तपना आवश्यक है। रामजी चाहते तो अयोध्या में बैठे-बैठे एक वाण से राक्षसों का संहार कर देते, लेकिन उन्होंने नर लीला के माध्यम से मानव समाज को त्याग और शौर्य की शिक्षा दी। पूज्य महाराज जी ने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमें विद्यालयों में केवल अंग्रेजों के अत्याचार और मुगलों की लूट की कथा पढ़ायी गयी। दूसरी ओर हम देखते हैं कि हमारा इतिहास धरती से स्वर्ग तक और रामजी के राज्य में पूरे त्रैलोक्य में शौर्य की गाथा से भरा हुआ है। रामजी ने वीरत्व के संयोजन से ही आसुरी शक्तियों का संहार किया। यह हमारे बच्चों को पढ़ाने योग्य हमारा इतिहास है। हमें यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि हमारे सनातन सद्ग्रन्थों के विरुद्ध या धर्म के विरुद्ध आचरण करने वाले का अंत हमेशा की तरह दुखदायी ही होगा। कीर्ति उसी की रह जाती है, जो धर्म के पथ पर चलता है। शराब को समाज का दुश्मन बताते हुए पूज्यश्री ने कहा कि इसे समाज के और राष्ट्र के हित में प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
आयोजन में कई विशिष्ट मंत्रियों और अतिथियों की भी उपस्थिति रही।