जलसा सीरतुन्नवी व सीरते सहाबा का आयोजन साहबा दीन की बुनियाद हैं..मौलाम सबीहूल हसन क़ासमी

in #hardoilast year

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हरदोई :-पिहानी कस्बे में मोहल्ला नागर में जलसे का आयोजन हुआ। जिस को खिताब करने के लिए आए मौलाना सबीहूल हसन क़ासमी जनरल सिग्रेटरी जमीयत उलेमा पिहानी ने अपने खिताब में हुज़ूर की सुन्नतों पर अमल करने व उनके तरीके पर ज़िन्दगी गुज़ारने पर ज़ोर दिया। मौलाना क़ासमी ने कहा कि सहाबा की ज़िंदगी को देखें तारीख का जायज़ा लें हुज़ूर के एक इशारे पर अपनी जाने क़ुर्बान कर दीं उनके इशारे पर अपना माल अपने बच्चों को अपनी बी बियों को बेवह कर के ये दीने इस्लाम हम तक पहुंचाया सहाबा की जो कड़ी है अगर उसको निकाल दिया जाए तो दीने इस्लाम हम तक पहुँचना ना मुमकिन है। सहाबा दीन की बुनियाद हैं। आज हम अपनी ज़िंदगी का जायज़ा लें बस खाली नाम के मुसलमान रह गए हैं। नमाज़ें हम छोड़ें, झूठ हम बोलें, अमानत में खयानत हम करें, इस्लाम ने हमें आवारा नही छोड़ा है। इस्लाम ने हमें पाबंद बनाया है । इसके बाद देहलिया से तशरीफ़ लाए हाफिज़ ज़ैद ने अपने खताब में कहा कि निसबतों से इंसान के मुक़ाम का अंदाज़ा होता है आज हम जिस प्रोग्राम में शामिल हैं। ये ऐसी शख्सियतों से के नाम से जुड़ा है जिन्होंने ने अल्लाह और उसके रसूल के लिए अपनी जानों का नज़राना पेश किया। इनका मुक़ाम बहोत बुलंद है। जिसे हम सहाबा की जमाअत कहते हैं। मौलाना बासेह की निज़ामत संचालन में होने वाले जलसे की शुरूवात क़ारी फहीम ललापुरी की तिकाबते क़ुरआन से हुआ। जलसे में जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया। हैरत पिहानी,फहीम पिहानवी, फहीम लाला पुरी, साकिब पिहानवी मेहताब, मोअब्बीज़ ,प्रोग्राम में खास तौर पर। मुन्ना कुरेशी, निसार कुरैशी, बनने खां, सोनू खां, नोशाद कुरैशी, तारिक अंसारी, यासनी अंसारी, एखलाक अंसारी, डॉक्टर फ़ुजैल, ताज अंसारी, अम्मार अंसारी मौजूद रहे आखीर में जलसे के आयोजक मुश्ताक़ खान व हस्सान कुरैशी, ने आए हुए सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया मौलाना सबीहूल हसन की दुआ के साथ जलसे का समापन हुआ।