शिव सबसे शानदार भगवान हैं।

in #santkabirnagar2 years ago

शिव सबसे शानदार भगवान हैं।

वे देवो के देवता है, देवाधिदेव हैं, महादेव हैं। लेकिन वे दैत्यों के भी देवता हैं। हर असुर ने उनका पूजन किया, वरदान पाए।

शिव ने भक्त भक्त में भेद नही किया। उसकी जाति नही देखी, रंग और पूजन पद्धति का भेद नही देखा। वे तो मानव और पशु का भी भेद नही देखते। पशुओं के भी देवता वही है, पशुपति हैं।

वे चतुर और कुटिल नही हैं, भोलेनाथ हैं। उनके भक्त उन्हीं के वरदानों से, बार बार उन्हें ही संकट में ला देते हैं। लेकिन फिर भी, वे औघड़ दानी है। 

शिव की महानता उनकी साधारणता में है। हीरे- मोती- सिक्के और नोट नही जनाब। बस, लोटा भर जल चढ़ा दीजिए।

शिव डमरू की आवाज में खुश हैं, बेल के पत्तो में खुश है। कतरा भर भांग की बूटी में खुश हैं, धतूरे के एक फूल, बेल के तीन पत्तो से खुश हैं। 

शिव श्मशान की राख से खुश हैं। उनके पूजन का कोई नियम नही, कायदा नही, वक्त नही, सिस्टम नही। बस- शिव का नाम लीजिए। या न भी लीजिए। 

क्योकि शिव ही सत्य हैं, सुंदर हैं। तो जिसमे सत्य है, सुंदरता है, वह शिव ही है। लेकिन सुंदरता भी शर्त नही। उनके गण, उनके भक्त, असुंदर भी है.. चलेगा।

गंजेड़ी, भंगेड़ी, शराबी भी बिना अपराध बोध के, भरपूर नशे में प्रभु को याद करता है, तो जै भोलेनाथ ही कहता है। तो क्या आश्चर्य की शिव सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देव हैं। विश्वास नही???

तो जरा आंख बंद कीजिए, अपने घर से पांच किलोमीटर के दायरे में सारे छोटे बड़े मन्दिरो और देवस्थलों को याद कीजिए। मेरा दावा है की अस्सी प्रतिशत सिर्फ शिव के स्थान मिलेंगे।

क्योकि शिव को मंदिर नही चाहिए। तालाब के किनारे, वृक्ष के नीचे, घने वन में, सड़क के किनारे, खुले में शिव बैठे हैं, और मस्त हैं। उसी लोटे से तालाब में खुद नहाइये, और फिर उसी तालाब का पानी, उसी लोटे में भरकर, तालाब के किनारे शिवलिंग पर चढ़ा आइये।

शिवा इज मोर देन हैप्पी!!!

ईश्वर अगर सर्वव्यापी है, तो शिव इस कसौटी में 100 में से 100 नम्बर हैं। वे कण कण में हैं, गण गण में, घट घट में हैं। स्फटिक नही, सोना नही, हीरा नही, संगमरमर नही,। हर मामूली पत्थर, बर्फ का टुकड़ा, मिट्टी की लोई, शिव बन सकती है, महादेव हो सकती है। 

तो वे किसी फवारे में हैं, किसी मस्जिद में भी धूनी रमाये हुए हैं, यह मानने के लिए सर्वे की जरूरत सिर्फ उन्हें है, जिन्होंने शिव को लिंग में सीमित कर दिया है। जिन्होंने हर हर और घर घर से महादेव को हटाकर किसी मलिन को स्थापित कर दिया है। 
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तो याद रखो, शिव को अपने गण प्रिय है। अपने जन प्रिय है। वो धर्म और जाति नही देखते, पीड़ा देखते हैं और उनकी आर्तनाद पर दौड़े आते है। और अब अत्याचार की सीमाएं पार हो रही हैं।

डरता हूँ जाने किसकी अनकही आर्तनाद शिव सुन लें। दौड़े आयें। त्रिशूल से वज्रपात हो, मृत्यु का तांडव हो, और तीसरा नेत्र तुम्हारे तिनकों से बने साम्राज्य को भस्म न कर दे। 
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तुम भी डरो। 

डरो कि शिव का क्रोध असीमित है। शिव से बड़ा काल अभी तक कल्पित नही हुआ। अपने कर्म के फल से डरो। काल के क्रम से डरो। 

महाकाल के न्याय से डरो।