अलीगढ में 1975 के आपातकाल के लोकतंत्र सेनानियों को योद्धाओं के रूप में मिला सम्मान,

in #aligarh2 years ago

अलीगढ़ में Screenshot_2022-06-27-05-36-06-06_99c04817c0de5652397fc8b56c3b3817.jpg1975 को देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगा कर समस्त नागरिक अधिकारों को बंधक बना लिया गया था, इसीको लेकर उपलक्ष में आज बजरंगबल हरिगढ़ शाखा द्वारा एक कार्यक्रम राष्ट्र रक्षा संकल्प दिवस के रूप में आयोजित किया गया, जिसमें उपस्थित युवाओं व गणमान्य जनों को समाज संस्कृति तथा राष्ट्र की प्रण प्राण से रक्षा करने का तथा किसी भी प्रकार की हिंसा ना करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में लोकतंत्र सेनानियों 1975 आपातकाल के योद्धाओं का सम्मान भी किया गया।

वीओ--दरअसल पूरा मामला जिला अलीगढ़ का है जहां बजरंग दल के सयोंजक द्वारा आपातकाल के स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करते हुए विशेष कार्यक्रम का आगाज किया गया इस दौरान इंदिरा गांधी के द्वारा लगाए गए आपातकाल दिवस को काला दिवस भी बताया गया बजरंगीयों को संबोधित करते हुए गौरव शर्मा ने कहा कि किसी भी देश को आपातकाल जैसी परिस्थितयों से बचना चाहिए जब कि कोई राजनेता अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए देश को ही बंधक बना लें। उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार को 42 वें संविधान संशोधन वापस लेना चाहिए, जिस संशोधन के प्रथम पैरा में "समाजवादी और पंथनिरपेक्ष" शब्दों के कारण देश में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो रहीं हैं। उन्होंने मांग की कि संसद में समान नागरिक संहिता पारित होनी चाहिए व जनसंख्या नियंत्रण कानून भी लागू होती चाहिए क्योंकि इस कारण नागरिक व्यवस्थायें व साधन ध्वस्त हो रहे हैं । उन्होंने अपने संबोधन में प्लेसस ऑफ वरशिप ऐक्ट 1991 समाप्त करने व वक्फ ऐक्ट की विवादास्पद धाराओं को भी समाप्त करने की मांग की देश के कई हिस्सों में जुमे की नवाज के बाद की जा रहीं योजनाबद्ध हिंसा को देश को अस्थिर करने की साजिश बताते हुए उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों व समान्य नागरिकों पर हिंसक हमला करने वाले अपराधियों की सरकारी सुविधाएं समाप्त हों तथा इनके परिवारों का मतदान का अधिकार समाप्त हो नूपुर शर्मा द्वारा दिए गए वक्तव्य की उच्च स्तरीय जांच विद्वानों द्वारा कराने और वक्तव्य के सत्य आधारित होने अथवा ना होने के आधार पर कार्यवाही तय होनी चाहिए । उन्होंने देश में हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार पीएफआई व सुन्नी वक्फ बोर्ड , जमीयत उलेमा ए हिंद वारे अन्य ऐसे संगठनों पर प्रतिबंध की मांग भी की तथा भारत में अल्पसंख्यक समुदायों की अधिकतम जनसंख्या सीमा 5 प्रतिशत नियत किए जाने की भी मांग की