मोहर्रम पर एकता की मिसाल

in #wortheum2 years ago

मुहर्रम को शहरी और ग्रामीण इलाकों से अच्छा प्रतिसाद ...

मुंबई/नगर: ईद इस मुबारक त्यौहार के तुरंत बाद मुस्लिम भाइयों का मुहर्रम आया | यह मुहर्रम मुंबई समेत पूरे देश में मनाया जाता है।
मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है। यह महीना शिया और सुन्नी दोनों ही मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए काफी अहम माना जाता है। इस साल मुहर्रम 31 जुलाई से शुरू हो गया है। मुहर्रम की 10 तारीख को यम-ए-आशूरा के नाम से जाना जाता है। यह इस्लाम का मुख्य दिन है। कहा जाता है कि हजरत इमाम हुसैन मुहर्रम के महीने में शहीद हुए थे। हज़रत इमाम हुसैन इस्लाम के संस्थापक हज़रत मुहम्मद के सबसे छोटे पोते थे। मुहर्रम के महीने के 10वें दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में लोग शोक मनाते हैं, जिसे आशूरा कहा जाता है। आशूरा शोक का दिन है। इस दिन मुस्लिम समुदाय आशूरा के रूप में मातम मनाता है।
इस वक्त आशूरा 09 अगस्त मंगलवार को मनाया जाएगा। साथ ही आशूरा 9 अगस्त को पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी होगा। इस्लाम में आशूरा कोई त्योहार नहीं बल्कि मातम का दिन है, जिसमें शिया मुसलमान इमाम हुसैन की याद में दस दिन तक मातम मनाते हैं। आशूरा के दिन, इस्लाम में शिया समुदाय के लोग ताजिया करते हैं और शोक मनाते हैं।
इसी तरह महाराष्ट्र के नगर जिले में मुहर्रम के मौके पर अलग-अलग तस्वीरें देखने को मिली | आज भी इस मुस्लिम प्रथा का महत्व शहरी और ग्रामीण इलाकों में देखा जा सकता है | IMG-20220807-WA0019.jpg

वैसे नगर में मोहर्रम मशहूर है दो साल पहले कोरोना वायरस के चलते मोहर्रम को बंद कर दिया गया था। यहां अभी भी बाघ बनाने की परंपरा चली आ रही है।अगर कोई महिला निःसंतान है तो इन्हीं इमाम हुसैन की इबादत की जाती है।IMG-20220807-WA0019.jpg