एक चिकित्सक के सहारे चल रही तीन पीएचसी ,मरीज लगा रहे चक्कर।

in #miserable2 years ago

एक चिकित्सक के सहारे चल रही तीन पीएचसी ,मरीज लगा रहे चक्कर।IMG-20220804-WA0073.jpg

लखीमपुर खीरी।
उत्तर प्रदेश योगी सरकार के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक जहाँ पूरे प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों का मुआयना कर लापरवाही बरतने वाले डाक्टरों को फटकार लगाते हुए दिखा निर्देश दे रहे हैं और अस्पतालों में इलाज के लिए आए मरीजों से चिकित्सकों के व्यवहार और उपचार के बारे में भी जानकारियां ले रहे हैं।वहीं लखीमपुर खीरी जनपद की पलिया तहसील क्षेत्र के सम्पूर्णानगर इलाके की बात की जाए तो कहने को तो तहसील क्षेत्र में कई पीएचसी केंद्र बना दिए गए हैं लेकिन डॉक्टर की तैनाती अभी तक नहीं हो पाई है। इस पर अगर संबंधित चिकित्सा अधीक्षक से बात की जाए तो इस मामले में अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं कि आखिर बदलते मौसम में बढ़ रहे मरीजों का हालचाल और स्वास्थ्य सुविधाओं का देखरेख कौन करेगा। कई जगह पर पीएचसी का निरीक्षण किया गया जिसमें कोई भी ऐसा जिम्मेदार डॉक्टर नहीं मिला जो मीडिया के सवालों का जवाब दे सके। जबकि पीएचसी केंद्र से ही संबंधित डॉक्टर साहब को फोन किया गया तो फोन तो चलता रहा और घंटी बजती रही लेकिन उन्होंने फोन उठाना अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी।ऐसे में वह भला मरीजों की परवाह कैसे करेंगे जब पीएचसी की बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां लेकर अपनी जिम्मेदारियां ही नहीं निभा पा रहे हैं। इस विषय पर पलिया सीएससी अधीक्षक से जानकारी लेनी चाही तो वह भी नहीं मिली। सूत्रों से मिली जानकारी में विभाग के कर्मचारियों ने बताया है कि संपूर्णानगर, सुमेरनगर, त्रिकौलिया के सीएससी केंद्र पर डॉक्टरों की कमी के चलते एक डॉक्टर के सहारे तीन तीन पीएचसी केंद्र चलाये जा रहे हैं। और तो और यहां से वहां वहां से यहां सड़क नापने में ही पूरा समय निकल जाता है तो क्या सिर्फ रजिस्टर मेंटेन करने के लिए ही डॉक्टर साहब ड्यूटी दे रहे हैं। आखिर मरीजों के साथ इस तरह का खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है।वही एक जानकारी और मिली है कि आशा व एएनएम के सहारे कई उप केंद्र चलाए जा रहे हैं जो नियम विरुद्ध है।अब उस गांव की हालत भी देखने वाली है जिनमें कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज झोलाछाप डॉक्टरों के सहारे इलाज करा रहे हैं और इन्हीं पीएचसी की लापरवाहियों के चलते लोगों मरीजों को लेकर प्राइवेट अस्पतालों की तरफ रुख़ कर रहे हैं।इससे सरकार की स्वास्थ्य सुविधा संबंधी बड़े-बड़े दावों पर भी उंगलियां उठने लगी हैं।