राक्षसी अभिनय के साथ जमकर बरसाए कोड़े

in #mmlast year

घाणेराव @ पाली
महेंद्र मेवाड़ा
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रियासत काल मे गोडवाड़ की राजधानी रहा घाणेराव नगर में बादरिया मेला व नृसिंह जयंती धूमधाम से मनाई। इस अवसर पर प्रवासी भी भारी संख्या में पहुँचे। रियासत काल से चली आरही परम्परा के तहत बादरिया चोहदश के अवसर पर तड़के छः बजे नृसिंह सेना की टोली लक्ष्मीनाथ मन्दिर पहुँच कर हिरण्यकश्यप व बादरिया के मुखोटे व पोशाके धारण कर हाथो में हंटर लेकर दिन भर घर घर जाकर लोगो पर कोड़े बरसाकर राक्षसी अभिनय करते लोगो से अच्छी खाशी राशि वसूलते रहे। परम्परा के अनुसार रावला से शुरू हुये यह अभिनय दिनभर शादी ब्याह वालो के घर से व नगर के प्रत्येक घर जाकर घरवालो पर कोड़े बरसाकर बड़ी राशि वसूलते रहे। ज्ञात रहे कि यह राशि धार्मिक कार्यो में खर्च की जाती है। ऐसा मानना है कि बादरिया व हिरण्यकश्यपु के हाथों कोड़े खाने से शरीर का भार उतर जाता है इसी कारण यहां के प्रवासी कई प्रान्तों से यहा पहुचते है। कोड़े से खून तक आजाता है लेकिन इसका नही उनके सामने जाकर चेलेंज देकर कोड़े खाते है। अन्याय विधर्म के सामने नही झुकने का सन्देश आमजन को दिया जाता है ऐसी मान्यता है। शाम को लक्ष्मीनाथ मन्दिर में मेले का आयोजन हुआ। जहां पर विभिन्न देवी देवताओं के मुखोटे पहनकर झांकिया सजाकर भजनों की प्रस्तुति दी गई। वहाँ पर हिरण्यकश्यपु व बादरिया इन कोड़े बरसाते रहे। सन्ध्या होते ब्राह्मण पुजारी नृसिंह भगवान के वेश में मन्दिर से बाहर आते ही बादरिया व हिरण्यकश्यपु अपनी पोशाके व मुखोटे उतार कर सभी लोगो के आशिर्वाद लेने पहुँच जाते है। इस अवसर पर माहआरती का आयोजन कर प्रसाद वितरण किया गया।
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