प्रयाग का पुण्य लेने संगम में तर्पण

in #prayag2 years ago

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  • संगम घाट में विदर्भ, छग से पहुंच रहे लोग

मंडला. हिन्दू धर्म की मान्याताओं में पितरो को आमंत्रित कर श्राद्ध पक्ष में तर्पण की परंपरा है। श्राद्ध पक्ष चल रहे है। जिसमें पूर्वजो को जल से तर्पण कर तिथि पर श्राद्ध किया जा रहा है। पितरो को पंद्रह दिन अमावस्या तक जल से तर्पण किया जाएगा। मंडला नगर के समस्त नर्मदा घाटों में तर्पण किया जा रहा है। उपनगर महाराजपुर का संगम घाट का तर्पण के लिए खास है। मान्यता है कि यहां तर्पण करने से प्रयाग का पुण्य मिलता है। घरों में भी लोग अपने पूर्वजों को जलतर्पण कर श्राद्ध आदि कार्यक्रम करा रहे हैं। इसके अलावा नर्मदा नदी के घाटों पर भी पूर्वजों को जल तर्पण करने वाले शहरवासियों की सुबह से भीड़ नजर आ रही है। पितृपक्ष के दौरान ब्राम्हणों को दान देने का बड़ा महत्व बताया गया है। 25 सितंबर तक संगम घाट में श्राद्ध और तर्पण का क्रम चलता रहेगा।

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जानकारी अनुसार पितरो के आर्शीवाद और उनके मोक्ष के लिए हिन्दू धर्म में श्राद्ध पक्ष के दौरान तर्पण किया जाता है। पूर्वजो को नर्मदा तट पर जल से तर्पण किया जा रहा है। इस संबंध में पंडित राकेश मिश्रा ने बताया कि पितरों के लिए प्रिय भोग्य पदार्थ ब्राम्हण को श्रद्घा पूर्वक दिये जाते है। इसी को श्राद्घ कहा जाता है। बता दे कि श्राद्घ कार्य से सूक्ष्म जीवन को तृप्ति मिलती है।

श्राद्घ पितर के प्रति किया गया प्रेम पूर्वक स्मरण है जो हिन्दू धर्म की विशेषता भी है। इसे पार्वण श्राद्घ भी कहते है। इस दौरान पितृ अपने सगे संबंधियों के यहां बिना निमंत्रण के पहुंचते है। कन्या राशि पर जब सूर्य आता है तब पितर अपने पुत्रों के निकट पहुंचते है। पितृों के लिए पुत्र श्राद्घ करता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य इस दौरान श्राद्ध तृप्त पितरों की आत्माओं को मुक्ति का मार्ग देता है। पितृपक्ष में सूर्य दक्षिणायन होता है। पितर अपने दिवंगत होने की तिथि के दिन, पुत्र, पौत्रों से उम्मीद रखते हैं कि कोई श्रद्धापूर्वक उनके उद्धार के लिए पिंडदान तर्पण और श्राद्ध करें।

पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि श्राद्ध का समय सूर्य की छाया पैरों पर पडऩे पर होता है। दोपहर के बाद ही श्राद्ध करना चाहिए। सुबह-सुबह या 12 बजे से पहले किया गया श्राद्ध पितरों तक नहीं पहुंचता है। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 10 से 25 सितंबर तक हैं। मंडला में संगम, रपटा, हनुमान घाट, रंगरेज घाट समेत अन्य घाटो में अपने पितरो को जल तर्पण किया जा रहा है।

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  • अन्य प्रदेश के लोग आते है तर्पण करने :
    उपनगर महाराजपुर के संगम घाट में श्राद्घ पक्ष शुरू होने के साथ मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ समेत अन्य प्रदेश से लोग संगम तट पहुंचकर पितरो को तर्पण दे रहे है। यहां मान्यता है कि तर्पण करने से प्रयाग के बराबर पुण्य अर्जित होता। जिसके कारण संगम घाट में लोगो का आना-जाना लगा हुआ है। उपनगर महाराजपुर के संगम घाट में तीन नदियो का त्रिवेणी संगम है। संगम घाट में नर्मदा, बंजर और गुप्त रूप में सरस्वती का संगम होने के कारण यहां पर मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्टï्र व छत्तीसगढ़ से भी लोग तर्पण देने आते है।

  • ये है मान्यता:
    पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि जहां पर तीन नदियों का डेढ़ मील तक संगम रहता है वहां पर तर्पण करने से प्रयाग का पुण्य मिलता है। मान्यता है कि श्राद्घ पक्ष में पूर्वज धरती पर आते है और उनका आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए तर्पण के साथ-साथ गौ, श्वान, काग को भी भोजन दिया जाता है जिससे की पूर्वज संतुष्टï होकर अपने पुत्रो को धन-धान्य से परिपूर्ण रहने के साथ खुश रहने का आर्शीवाद देते है। श्राद्घ पक्ष में अपने पूर्वजो का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए श्राद्घकर्म किया जा रहा है।