पुत्र की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा व्रत
- इस व्रत को करने से नहीं आती संतान पर विपदा
मंडला। भादो माह में त्यौहारों का सिलसिला चल रहा है। इसी के अंतर्गत संतान सप्तमी पर महिलाओं ने अपनी संतानों की सुख, समृद्धि और दीर्घायु के लिए संतान सांते का व्रत रखा। संतान सप्तमी के अवसर पर घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के साथ विशेष तौर पर महिलाओं ने 7 पुआ स्वयं के लिए और 7 पुआ पंडि़तों, कुंआरी कन्याओं को खिलाने के लिए बनाये थे।
संतान सप्तमी व्रत की पूर्णता के पहले महिलाओं ने विधि विधान से माता पार्वती की पूजा अर्चना कर पुष्य बेलपत्री, भोग सामग्री अर्पित कर संतान सप्तमी की कथा का श्रवण करने के उपरांत सात पुये ग्रहण कर अपना व्रत समाप्त किया। संतान सप्तमी पर परम्परा के अनुसार महिलाओं द्वारा धूप, दीप, नारियल का समर्पण कर भगवान श्ंाकर और माता पार्वती के अलावा चांदी के कड़ों की पूजा कर अपने पुत्रों पर असीम स्नेह प्रकट किया। समूह में संतान सप्तमी पर पूजा अर्चना करते हुए महिलाओं ने सद्भावना, धर्म के प्रति निष्ठा का परिचय देकर चल रहे गणेशोत्सव में धर्म की बयार को और अधिक गतिशील कर दिया।
- माताओं ने अच्छे भविष्य की प्रार्थना की :
महिलाओं ने इस व्रत को रखकर पुत्र-प्राप्ति, पुत्र रक्षा के लिए महिलाएं ईश्वर से प्रार्थना की। पूजन से पहले पूजन स्थल में चौक, रंगोली बनाकर, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, सुपारी नारियल आदि से शिव-पार्वती की पूजा की गई। भगवान भोलेनाथ को नैवेद्य-भोग के लिए खीर-पूड़ी और गुड़ के पुए बनाकर भगवान को अर्पित किए गए। महिलाओं ने जाम्बवती के साथ श्यामसुंदर तथा उनके बच्चे साम्ब की पूजा की। माताएं पार्वती का पूजन करके पुत्र प्राप्ति और उसके अच्छे भविष्य के लिए प्रार्थना की।
पंडित राकेश शुक्ला ने बताया कि एक बार श्रीकृष्ण ने युधिष्ठर को बताया कि मेरे जन्म से पहले किसी समय मथुरा में लोमश ऋषि आए थे। मेरे माता-पिता देवकी और वासुदेव ने भक्ति पूर्वक उनकी पूजा की तो ऋर्षि ने कहा कि, हे देवकी! कंस ने तुम्हारी कई संतान को मार दिया है। इस दुख से मुक्त होने के लिए तुम संतान सप्तमी का व्रत करो।
Santanon ke liye matrutva ka sneh aur pyar ishrat ka Pratik hai