दि०य ज्ञान से मानव अपने जीवन का कल्याण कर सकता है -आचार्य शंशाक

in #bhagwat2 years ago

बिलासपुर। श्रीमद् भागवत महापुराण कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के सप्तम व समापन दिवस पर आचार्य शशांक जी ने भगवान श्री कृष्ण के 16108 विवाह का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि दिव्य ज्ञान से मानव अपने जीवन का कल्याण कर सकता है। ज्ञान के बिना इंसान अपने जीवन के सर्वोच्च स्थान को नहीं प्राप्त कर सकता है। इसके लिए जरूरी है कि वह धर्म का अनुसरण करे। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति का आचरण भी उच्च हो। बिना इसके ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं। भगवान ने कैसे परीक्षित को उत्तम लोक की प्राप्ति कराई। श्री सुखदेव जी ने राजा परीक्षित को भागवत महापुराण सात दिन के अंदर सुना कर उन्हें भगवत धाम का अधिकारी बनाया। मरने वाले व्यक्ति को क्या करना चाहिए, इस प्रश्न के उत्तर में श्री सुखदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक भागवत सुनाई। जब तक्षक नाग राजा परीक्षित को डसने आया, उससे पहले राजा परीक्षित भगवान के धाम में मन लगा कर बैठ गए और तक्षक का स्पर्श होने से केवल शरीर नष्ट हुआ आत्मा को कोई कष्ट नहीं। इतना दिव्य ज्ञान श्री सूतजी महाराज ने ऋषियों को दिया। भागवत महापुराण का सदा श्रवण करना चाहिए, बार-बार करना चाहिए यह भगवान की अनंत कथा है, जो कभी समाप्त नहीं होती है। यह निरंतर चलती रहती है। समापन के साथ ही आज विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा। आचार्य जी ने कहा कि मनुष्य स्वंय को भगवान बनाने के बजाय प्रभु का दास बनने का प्रयास करें, क्योंकि भक्ति भाव देख कर जब प्रभु में वात्सल्य जागता है तो वे सब कुछ छोड़ कर अपने भक्तरूपी संतान के पास दौड़े चले आते हैं। गृहस्थ जीवन में मनुष्य तनाव में जीता है, जब कि संत सद्भाव में जीता है। यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बड़ा धन है। इस अवसर पर श्रीकृष्ण भक्त एवं बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन, श्रीमद्भागवत तथा श्रीव्यास पूजन किया गया। कथावाचक व्यास शशांक जी ने कथा के दौरान श्रीकृष्ण एवं सुदामा की मित्रता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। "पानी परात को हाथ छूवो नाहीं, नैनन के जल से पग धोये।" भगवान अपने बाल सखा सुदामा की आवभगत में इतने विभोर हो गए के द्वारका के नाथ हाथ जोड़कर और अंग लिपटाकर जल भरे नेत्रों से सुदामा का हालचाल पूछने लगे। उन्होंने बताया कि इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में कभी धन दौलत आड़े नहीं आती। कथा में पायस अग्रवाल, सुनील गुप्ता, उपदेश गोयल, सपन अग्रवाल, मनोज गुप्ता, राजीव अग्रवाल, पुनीत अग्रवाल, रेनू गुप्ता, मोना गुप्ता, नीरू अग्रवाल, आयुष अग्रवाल, अरविंद अग्रवाल, उपकार गोयल आदि मौजूद रहे।
IMG-20230228-WA0177.jpg

IMG-20230228-WA0176.jpg