धार्मिक व दार्शनिक स्थल उपेक्षा के शिकार

in #dindori2 years ago

धार्मिक व दार्शनिक स्थल उपेक्षा के शिकार_DSC9033.jpg

पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किए जा सकते हैं स्थान, आकर्षक स्थान में पहुंचते हैं बड़ी संख्या में लोग

डिंडौरी(पप्पू पड़वार) जिले के समनापुर विकासखंड अंतर्गत ब्लगभग आधा दर्जन से अधिक पर्यटन स्थल उपेक्षा का शिकार है। हल्दी करेली के साथ झिरझिरा, बंदीछोर व बांधा तालाब की रमणीय वादियां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में लोग अलग -अलग स्थानों से पहुंचते तो हैं, लेकिन स्थान विकसित न हो पाने से पर्यटकों को कई समस्याओं से भी दो चार होना पड़ता है। ये स्थान दार्शनिक स्थल तो हैं ही, साथ ही लोगों के लिए आस्था का केन्द्र भी है। समनापुर से पांच किमी दूर वनग्राम सिमरधा के जंगल में खूबसूरत झिरझिरा सिमरधा नदी का उद्गम स्थल है। यहां गर्मी में भी लोग झरने का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं। विशाल चट्टानों के बीच से बहता हुआ 100 फीट की ऊंचाई से गिरकर पानी अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य निर्मित करता है। झिरझिरा के पावन स्थल पर मकर संक्रांति पर्व में मेले का आयोजन भी किया जाता था, लेकिन आवागमन की सुविधा न होने के चलते लोगों का आना जाना कम हो गया है।
WP_20171024_13_59_54_Pro (2).jpg
लकड़ी नहीं कटी तो सड़क भी नहीं बना

सिमरधा वन ग्राम के बैगा ग्रामीणों ने बताया कि विगत पांच वर्षों से वन विभाग ने इस जंगल से लकड़ी नहीं कटाई है। इसके चलते विभाग द्वारा बनाया गया वर्षो पूर्व कच्चा। मार्ग भी बारिश के भेंट चढ़ गया और नया मार्ग बनाया भी नहीं गया। लोगों ने बताया कि पूर्व कलेक्टर द्वारा जीर्णोद्धार करने की कोशिश की थी, लेकिन उनका तबादला होते ही यह कार्य ठंडे बस्ते में चला गया। दूसरा स्थान बंदीछोर का है जो कि समनापुर मुख्यालय से तीन किमी दूर पहाड़ी जंगल में सैकड़ों फुट ऊंचाई में स्थित धार्मिक स्थल है। मार्ग विहीन होने के चलते इस धार्मिक स्थल का अस्तित्व खतरे में है। समनापुर के नजदीकी पर्वतीय श्रृंखला के बीच यह स्थान है। यहां विशालकाय वृक्षों के समूह के पार एक झरना है। वहीं शिवलिंग भी स्थापित है और इस स्थान को पूज्यनीय मानते है। बंदीछोर के निचले भाग में भी एक झरना है, जहां सभी श्रद्धालु पूजन अर्चन करते हैं।

हल्दी करेली है रमणीय स्थल, धीरे-धीरे बढ़ रही है पर्यटकों की संख्या

समनापुर जनपद मुख्यालय से लगभग 15 किमी दूर हल्दी करेली पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जा सकता है। बुडर्नर नदी पर झरने के साथ कल-कल बहती नदी की धार आकर्षक चटटाने व मनोरम वादिया जो एक बार देखता है वह दूसरी बार जरूर जाने की लालसा करता है। यहां भी पर्यटकों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ तो रही है, लेकिन स्थान विकसित न होने के चलते यहां पहुंचने वाले लोगों को भी समस्या होती है।

उपेक्षा का शिकार बांधा तालाब

दर्शनीय स्थल ऐतिहासिक बांधा तालाब है जो इन दिनों उपेक्षा का शिकार है। समनापुर से 2 किमी दूर पहाड़ में स्थित है। लगभग अस्सी के दशक में निर्मित यह तालाब अब आखरी सांसे ले रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग के उपेक्षा के चलते तालाब छोटा सा कुआ के रूप में तब्दील हो गया है। अत्यधिक ऊंचाई से तेजी से बहने वाले पानी से लगभग सौ एकड़ जमीन की सिचाई होती थी। क्षेत्र का अमरनाथ कहे जाने वाले जंगल में निर्मित बांधा तालाब से समनापुर जनपद के ग्रामीणों की आस्था जुड़ी है। इस स्थान पर भी मकर संक्रांति को मेले का आयोजन किया जाता था।