अयोध्या में राम जन्मभूमि पथ में फिर बदलाव संभव, चल रहा मंथन; 18 नवंबर से होगी समिति की बैठक

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मेसर्स साउथ एशिया ली एसोसिएट के माध्यम से तैयार कराए विजन डाक्यूमेंट में प्रस्तावित तीन पथों जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ व राम पथ के निर्माण को लेकर जिस तरह की हीलाहवाली की जा रही है, उसने प्रदेश शासन की रेटिंग को निम्न स्तर पर पहुंचा दिया है। यह सब दीपोत्सव के अवसर पर आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्थलीय सत्यापन के बाद हुआ। इसके कारण उच्च स्तर खलबली मची है और जिला प्रशासन पर शीघ्र काम पूरा करने का दबाव बढ़ गया है। उधर निर्माणाधीन जन्मभूमि पथ की स्वीकृति चौड़ाई पर पुनर्विचार शुरू हो गया।

यह सब तब हो रहा है जबकि सभी पक्षों की सहमति के बाद भेजे गये अंतिम प्रस्ताव को प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान कर दी है। मालूम हो कि जन्मभूमि पथ की चौड़ाई पहले से ही 30 मीटर यानी सौ फिट स्वीकृत थी। भूमि अधिग्रहण में अमावां राम मंदिर व राजमहल के बीच खाली 80 फिट जमीन को मंदिर के प्रबंधक व पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ने जिला प्रशासन को बिना किसी मुआवजे के निःशुल्क प्रदान करने का प्रस्ताव किया। इस जमीन का एक करोड़ 63 लाख मुआवजा निर्धारित किया गया था। श्रीकुणाल ने यह प्रस्ताव इसलिए दिया था कि अतिरिक्त 20 फिट जगह लेने पर मंदिर व राजमहल दोनों क्षतिग्रस्त हो रहे थे।

रामजन्मभूमि परिसर में जिलाधिकारी के साथ हुई बैठक
फिलहाल जिला प्रशासन ने शासन से अनुमति प्राप्त कर श्रीकुणाल के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। इसके कारण 570 मीटर जन्मभूमि पथ के मध्य में करीब 80 लंबाई में सड़क की चौड़ाई 80 फिट ही निर्धारित हो गई और कैबिनेट की भी स्वीकृति के बाद पथ निर्माण के लिए आगणित धनराशि का आवंटन भी हो चुका है। इस बीच नये सिरे इस पथ की चौड़ाई बढ़ाने पर पुनर्विचार की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है। इस विषय पर शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी नितीश कुमार ने अमावां राम मंदिर के प्रबंधक व पूर्व आईपीएस अधिकारी श्रीकुणाल से दूरभाष पर सम्पर्क किया था जिसके बाद मीटिंग के लिए शुक्रवार की तिथि तय की गयी थी।

इस बैठक के लिए अस्वस्थता के बावजूद श्रीकुणाल पटना से चलकर अयोध्या पहुंचे। मिली जानकारी के अनुसार यह बैठक रामजन्मभूमि परिसर में एलएण्डटी कार्यालय में सायं चार बजे से चल रही है। फिलहाल मीटिंग का ब्योरा नहीं मिल सका। बैठक रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय व न्यासी डा. अनिल मिश्र सहित एलएण्डटी व टीसीई के भी अधिकारी शामिल थे।