किसानों की मेहनत ने बढ़ाई गन्ने की मिठास

in #munderwa2 years ago

बस्तीःगन्ने की खेती को लेकर पूर्वांचल की खोई हुई पहचान दिलाने की योगी सरकार के संकल्प अब रंग लाने लगे हैं। जिले के सत्तर फीसद नीचली समतल भूमि (लो लैंड) के बावजूद गन्ने की बेहतर पैदावार पाने की कोशिश अब दिखने लगी है। चीनी मिल के प्रबंधन व किसानों की मेहनत ने गन्ने की मिठास को बढ़ाया है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह कोशिश यू ही बरकरार रही तो गन्ने की खेती के मामले में पश्चिमी जिलों की तरह पूर्वांचल का यह जिला भी एक मिसाल कायम करेगा।
दो दशक तक बंद रही मुंडेरवा चीनी मिल को चालू करने का योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले फेज के मुख्यमंत्री कार्यकाल में ही पहल किया। इसके बाद प्रतिदिन 50 हजार कुंतल गन्ने की पेराई क्षमता वाले मिल को उसके अनुपात में ही गन्ने की आपूर्ति की आवश्यकता महसूस होने लगी। जबकि मांग के सापेक्ष गन्ने की कम औसत उपज मिल प्रबंधन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था।

कार्यदाई संस्था ने दिया नई तकनीकों पर जोर
शासन के तरफ से गन्ना विकास के लिए नामित कार्यदाई संस्था एलएसएस ने पिछले वर्ष कई नए पहल किए। शरदकालीन मौसम में गन्ने की नर्सरी तैयार करना प्रमुख रहा। इसके अलावा किसानों को उन्नत प्रजाति के बीज CoLk 14202,CoS 13235,Co 15023,0118,98014,5009 आदि किस्म की आपूर्ति की। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से गन्ने की नर्सरी तैयार की गई। जिसका लाभ महिलाओं को नर्सरी में तैयार गन्ने के पौधे बेचकर जहां सीधे प्राप्त हुआ, वहीं किसानों को जलजमाव वाले हिस्से मेें जमीन सूखने के बाद पौधों को रोपने का अच्छा विकल्प मिल गया। इस तरह तकरीबन 10 लाख तैयार किए गए गन्ने के पौधे समूह की महिलाओं ने किसानों को दिया। सिडलिंग सहित गन्ना शोध संस्थान सेवरही के अलावा गोला, कुशीनगर,शाहजहांपुर,मुरादाबाद,लक्ष्मीपुर से 525.52 कुंतल गन्ने के बीज मंगाकर किसानों को आपूर्ति की गई। इसके अलावा रिंग पीट, पेयर्ड, ट्रेनच विधि के साथ-साथ सह फसली गन्ने की बुवाई की पहल भी क्षेत्र के लिए नई बात रही। इस विधि से किसानों को औसत से चार गुना अधिक उपज प्राप्त होती है। इस मामले में कोरउ के नंदलाल चैधरी,डारीडीहा के पितांबर पाल व पिपरा कला के अनुप चौधरी का प्रयास क्षेत्र के किसानों के लिए एक माॅडल बन गया है। मोहनाखोर के रमाकांत चौधरी ने किस्म CoLk 14201, CoS 13235, Co 15023, 98014, 0118 गन्ने के पौधे के आपस की दूरी आठ फुट के साथ सह फसली की है। जबकि रसुलपुर के श्रीप्रकाश पाल का गन्ने के साथ फुल से लेकर सब्जी की सहफसली खेती एक प्रमुख उदाहरण है। इटहर निवासी अवधेश पाल द्वारा सीओ 98014 प्रजाति का व कटाई के राकेश चैधरी के सीओएस 08272 प्रजाति का बोया गया गन्ना सबको प्रभावित कर रहा है।

चीनी मिल के प्रधान प्रबंधक ब्रजेंद्र द्विवेदी का कहना है कि गन्ना की पैदावार बढ़ाने के लिए कार्यदाई संस्था के माध्यम से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जिसका असर भी देखने को मिल रहा है। किसानों को अनुदान पर बीज,उर्वरक,कीटनाशक,रसायन समेत कृषि उपकरण दिए जा रहे हैं। कार्यदाई संस्था के कर्मी किसानों को तकनीकी सलाह देते हुए गन्ने की खेती के प्रति प्रोत्साहित करने व फसलों के सुरक्षा व विकास के लिए मदद करते हैं।