कविता
ख्वाबों को टूटते देखा है मैंने
कोई हसरतों की सच्चाई बताता नही
दर्द दिल मेरा कोई क्या जाने
दहलीज पर खड़ा हु कोई रोकता नही
अर्से से उन्हीं लहरों पर है कश्ती
तूफ़ा का संदेशा मगर कोई सुनाता नही
हमदर्द हमनफस कहने को कई है
प्यार से मगर कोई पुकारता नहीं
लब पर कुछ और दिल में कुछ है उसके
दिल की बात मगर कोई बताता नही