उदयपुर कांड: कहां से आया 'सर तन से जुदा'? केरल गवर्नर आरिफ मोहम्‍मद खान ने बड़ा राज खोला

in #delhi2 years ago

Navbharat-Times (54).jpg.pngArif Mohammad Khan News: उदयपुर और अमरावती की घटनाओं पर केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान ने कहा वे हैरान नहीं हैं। उन्‍होंने कहा क‍ि 'हमें बुनियादी बीमारी की तरफ ध्‍यान देना चाहिए।'नई दिल्‍ली: केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान को उदयपुर कांड से हैरानी नहीं हुई। हमारे सहयोगी 'टाइम्‍स नाउ नवभारत' से एक्‍सक्‍लूसिव बातचीत में खान ने कहा कि दुर्घटना के पीछे के कारणों पर भी विचार करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि 'हमें इस बात पर ध्‍यान देना चाहिए कि कैसे इस बीमारी को दुरुस्‍त किया जाए।' खान ने उन दावों कि 'हिंदुस्‍तान में मुसलमान डरा हुआ है' पर कहा कि 'इससे ये अंदाजा लगाइए कि जो सिरफिरे जाकर एक आदमी को उसकी दुकान में धोखा देकर मार डालते हैं... ये डर का हाल है तो गैर-डर का क्‍या होगा?' केरल के गवर्नर ने ऐसी जघन्‍य हत्‍याओं का आह्वान करते नारे 'सर तन से जुदा' के उद्गम की कहानी भी सुनाई और कहा कि इसका इस्‍लाम से कोई लेना-देना नहीं है।कहां से आया 'सर तन से जुदा'?
पैगंबर मोहम्‍मद के खिलाफ टिप्‍पणी से जुड़े विवाद में एक नारा बार-बार गूंजा, 'सर तन से जुदा'। यह नारा कहां से आया? जवाब में आरिफ मोहम्‍मद खान कहते हैं, 'जो लोग ये बातें करते हैं न, वो ध्‍यान रखें। आप स्‍पेन की हिस्‍ट्री पढ़‍िए। क्रिश्‍चन यूथ ने तय किया कि हम तैयार हैं सर कटवाने के लिए। वो निकलकर आते थे, पहले दिन एक, उसके बाद उससे ज्‍यादा और उसके बाद उससे ज्‍यादा और उसके बाद उससे भी ज्‍यादा... उनका क्‍या झगड़ा है जिनको वो बुरा कह रहे थे। वो तो जो हुकूमत थी स्‍पेन में, उसके खिलाफ प्रोटेस्‍ट कर रहे थे। डेफिनेशन में ब्‍लास्‍फेमी थी, वो करते थे वो... उनको गिरफ्तार किया जाता था। जब ये आंदोलन बन गया तो जजों ने कहा कि कैसे सजा दे दें इतने लोगों को... आखिरकार सबको छोड़ना पड़ा।शरीयत' शब्‍द ही गलत है!
खान ने कहा कि 'धर्म में आध्‍यात्मिकता का पहलू होता है। आध्‍यात्मिकता जीवन का आदर करती है, सर तन से जुदा नहीं करती। आध्‍यात्मिकता तो गलत काम करने वाले प्रति भी प्रेमभाव रखती है और उसको सही करने की कोशिश करती है।' उन्‍होंने कहा कि 'शरीयत शब्‍द ही गलत है, शरीयत तो खुदा के कानून को कहते हैं जो प्रकृति का कानून है। लेकिन हमारे देश में तो यह नहीं लागू है। हमारे यहां तो संविधान है। शरीयत तो यह कहता है कि जहां पर शरीयत लागू नहीं है, वहां पर मुसलमान को रहना ही नहीं चाहिए तो फिर उसको भी मानें!'
मदरसों का सिलेबस बदलने की जरूरत'
खान ने बताया कि मैंने दारूल उलूम को एक पत्र लिखा। मैंने उनका ध्‍यान सिलेबस के उन हिस्‍सों की ओर दिलाया जिसको पढ़ाने पर रेडिकलाइजेशन होगा ही। केरल के राज्‍यपाल ने कहा कि 'मैंने उनसे कहा कि अगर आप बच्‍चों को ऐसी शिक्षा देंगे तो वे यह सोच सकते हैं कि कानून को अपने हाथ में ले लें।' खान ने कहा क‍ि '14 साल की उम्र तक के बच्‍चों को स्‍पेशलाइज्‍ड एजुकेशन नहीं देनी है। ऐसी यूएन की गाइडलाइंस हैं। अगर पढ़ाना ही है तो पढ़ाइए कि यह मुस्लिम कानून का इतिहास है। उसको यह मत कहिए कि यह खुदा का कानून है।'खान ने कहा कि 'जो लोग धर्म को पेशा बना लेते हैं, वे ऐसा ही रवैया अख्तियार करेंगे। अपने पेशे पर कोई आंच नहीं आने देता।' केरल के राज्‍यपाल ने कहा कि 'आम मुसलमान जो नमाज पढ़ता है, उसे रटाया जाता है।' उन्‍होंने कहा कि 'देवबंद, नदवा... ये सारे मदरसे कुरान को अनुवाद के साथ पढ़ने की मुखालफत करते रहे हैं और जब उनसे कहा जाता है क्‍यों तो कहते हैं कि आप भटक जाएंगे। इसको बगैर समझे पढ़ लीजिए।'2022_7image_09_59_439831346muslimhawkers.jpg2022_7image_09_59_439831346muslimhawkers.jpgNavbharat-Times (54).jpg.png