पैग़ंबर मोहम्मद मामले में अजित डोभाल पर ईरान का यह दावा कितना सही
NEWS DESK: WORTHEUM, PUBLISHED BY, JSK.AMRENDRA, 10 May 2022, 02:10 PM IST
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ईरानी विदेश मंत्रालय का दावा
ईरानी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, ''भारत हमेशा से करुणा और सहिष्णुता का आश्रय रहा है. यहाँ अलग-अलग मतों के साथ लोग रहते हैं. धार्मिक असहिष्णुता न तो भारत को रास आता है और न ही इसकी जड़ों में है. निश्चित तौर पर भारत में सभी धर्मों के लोग इस तरह के बयानों की निंदा करेंगे.''
गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से पूछा गया कि क्या ईरानी विदेश मंत्री के साथ भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की बैठक में पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित बयान को लेकर बातचीत हुई थी? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मेरी समझ है कि यह मुद्दा बातचीत के दौरान नहीं उठाया गया था.
बागची ने कहा कि एक दर्जन से ज़्यादा देशों को भारत ने इस मामले में जवाब दिया है.भारत ने साफ़ कर दिया है कि पैग़ंबर मोहम्मद पर ट्वीट्स और टिप्पणी भारत सरकार की राय और सोच को नहीं दर्शाते हैं.
बागची ने कहा कि इस मामले में सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी और कार्रवाई भी हो चुकी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अब इस मामले में कहने के लिए कुछ और नहीं है.
ईरान के उस दावे के बारे में पूछा गया जिसमें उसने बयान जारी कह कहा था कि भारत के एनएसए अजित डोभाल के साथ बैठक में ईरानी विदेश मंत्री ने पैग़ंबर मोहम्मद के अपमान का मुद्दा उठाया था और भारतीय पक्ष ने ऐसा करने वालों से इस तरह निपटने का आश्वासन दिया था, जिससे दूसरे लोग सबक ले सकें. इस पर बागची ने कहा, ''जहाँ तक मुझे पता है कि आप जिस बयान का संदर्भ दे रहे हैं, उसे वापस ले लिया गया है.''
ईरान के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर अजित डोभाल के साथ बैठक की कोई प्रेस रिलीज नहीं है. लेकिन ईरान की ओर से आधिकारिक रूप से इस बात की घोषणा नहीं की गई है कि बयान वापस लिया गया है. हालांकि ईरान सरकार की वेबसाइट पर अजित डोभाल को लेकर जो दावा किया गया है, वो अब भी है.
ईरान ने भारत के एनएसए को लेकर ऐसा दावा क्यों किया और किया तो वापस क्यों लिया? मध्य-पूर्व मामलों के जानकार क़मर आग़ा ने बीबीसी हिन्दी के रजनीश कुमार से कहा, ''एनएसए के साथ ईरानी विदेश मंत्री की क्या बात हुई ये तो कहना मुश्किल है लेकिन इतना स्पष्ट है कि ईरान इस मुद्दे पर टकराव नहीं चाहता है. अगर टकराव चाहता तो वह वापस नहीं लेता बल्कि जवाब देता.''
'ईरान को अगर ज़्यादा आपत्ति होती तो उसके विदेश मंत्री भारत आते ही नहीं. ईरानी विदेश मंत्रालय ने अपना बयान वापस लेकर बता दिया कि वह भारत की कार्रवाई से संतुष्ट है. दूसरी बात यह भी है कि भाषा के स्तर पर समस्या हुई होगी. इन्हें फ़ारसी में अनुवादक ने बताया होगा और अजित डोभाल अंग्रेज़ी में बोल रहे होंगे. इसलिए बाद में वापस में ले लिया.''
क़मर आगा कहते हैं, ''भाषा की ही समस्या हुई होगी तभी ईरान ने वापस लिया क्योंकि ईरानी संबंधों पर असर पड़ने से नहीं डरते और जो होता है, उसे बता देते हैं.''