आ जाओ तुम भी

in #poem2 years ago

वसंत की आहट के साथ
खेतों से उठी है अभी-अभी
सरसो के फूलों की वही तीखी गंध
आ सको तो किसी सुबह
आ जाओ तुम भी
सर्द हवा का दामन थामकर
खेत की मेड़ों पर चलो कुछ देर
थोड़ा-सा भींग जाओ
पौधों पर गिरी ओस में
महसूस करो पैरों से लिपटी
गीली मिट्टी का परिचित स्पर्श

मैं अभी-अभी खिल आए
सरसो के फूलों का
एक गुच्छा तुम्हारे बालों में लगाऊंगा
तुम बस थोड़ा-सा हंस देना
मेरे उस गंवईपन पर

आने वाले वसंत में एक बार फिर
मैं लौट चलना चाहता हूं तुम्हारे साथ
हवा, मिट्टी और रंगों के
उसी आदिम तिलिस्म की ओर
जो कभी उठा करती थी
हमारी देह और सांसों से।