जयमल सिंह ने देश की खातिर बिगुल बजाया तो ब्रिटिश सेना को रास नहीं आया

in #punjab2 years ago

अमृतसर के स्वतंत्रता सेनानी जयमल सिंह आज जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। 1921 में पाकिस्तान के सियालकोट में जन्मे जयमल सिंह ने दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश आर्मी में शामिल होकर जापान के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जब वह देश की आजादी के लिए सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी का हिस्सा बने तो ब्रिटिश आर्मी ने उन्हें घर का रास्ता दिखा दिया।
अमृतसर के न्यू गुरबक्श नगर निवासी जयमल सिंह उन स्वतंत्रता सेनानियों में से शुमार हैं, जिन्होंने वर्षो तक परिवार से दूर रहकर देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। जयमल सिंह का विवाह 15 साल की उम्र 1936 को स्वर्ण कौर के साथ हुआ। 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो वे ब्रिटिश आर्मी में भर्ती हो गए। सियालकोट के नौशहरा डीपू में उन्हें सात माह की ट्रेनिंग देकर अंग्रेज सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ने जापान भेज दिया।
परिवार को लगा मर चुके हैं जयमल
जैमल सिंह को अन्य ब्रिटिश सैनिकों के साथ जापान में बंदी बना लिया गया। कुछ माह बाद कैद से छूटने पर पता चला कि नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापना की है तो वह देश की आजादी के लिए उक्त फौज में शामिल हो गए। सेनानी जयमल सिंह का कहना है कि करीब पांच साल तक वे अलग-अलग जगहों पर लड़ते रहे। इस दौरान उन्हें कई बार कैद भी किया गया। उनके परिवार में सभी यही समझते थे कि जयमल सिंह विश्व युद्ध में मारे जा चुके हैं। इसके बाद परिवार में उनकी पत्नी स्वर्ण कौर की दूसरी शादी करने की बातें चल रही थीं कि 1944 में वे वापस लौट आए और परिवार को अपनी गतिविधियों के बारे में बताया।