सैकडो वर्षो पुराने ककरोला - पालम रोड का ऐसा हाल, जनता बेहाल: रणबीर सिंह सोलंकी

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केंद्र व राज्य सरकार कि वर्चस्व की लड़ाई, दिल्ली बना लापरवाह अधिकारियों की राजधानी (बंदर बांट भाग 3)

विकासशील भारत की राजधानी दिल्ली, ऐसे तर्ज पर विकास जिसकी वजह से जनता मूलभूत सुविधाओं को भी तरस रही

मटियाला विधानसभा (नई दिल्ली): आज हम लापरवाह अधिकारियों की फेहरिस्त में शामिल एसडीएमसी के कारनामों की बात करेंगे, बात लापरवाह अधिकारियों की हो और दिल्ली जल बोर्ड का जिक्र न हो एक नामुमकिन सा ख्वाब लगता है।

आज एक और मामला मटियाला विधानसभा का जहा डीजेबी अधिशाषी अभियंता (सी) डीआर XIV ने 1) ककरोला हाउसिंग कॉम्प्लेक्स तारा नगर, 2) ककरोला पालम रोड नजदीक पीपल चौक, 3) ककरोला रोड, शुरू द्वारका मोड़ से पुराने पालम रोड तक, 4) पुराने पालम रोड, शुरू ककरोला क्रोसिंग से नएसयूटी तक एवम 5) द्वारका सेक्टर 15 जेजे कॉलोनी पर सीवर के काम के लिए सड़क कटिंग करी और उसके रिस्टोरेशन (दुबारा बनाने) के लिए एसडीएमसी द्वारा प्राप्त एस्टीमेट पत्र एवम 2 से 5 तक के एस्टीमेट जीएसडीआई पोर्टल की यूनिक आईडी के माध्यम से एसडीएमसी द्वारा जारी ईस्टीमेटो ( जिसकी लागत लगभग 83 लाख) अनुसार एसडीएमसी अधिशाषी अभियंता (एम IV) नजफगढ़ जोन को डीजेबी ने दो चेको (जनवरी 2021 व मार्च 2022) द्वारा एस्टीमेटो के हिसाब से पेमेंट भी कर दी।

सोचिए जनता एवम लाखो राहगीर सालों से रोड बनने का इंतजार कर रहे है जिसका पैसा लगभग 3- 4 सालों पहले एक विभाग, दिल्ली जल बोर्ड द्वारा दूसरे विभाग एसडीएमसी को चला भी गया लेकिन दिल्ली की जनता इन लापरवाह अधिकारियो के वजह से रोजाना दो चार हो रही है और जान हथेली पर लेकर इन सड़को से अपने गुजर बसर के लिए अपनी जान हथेली पर लेकर चल रही है।

 रणबीर सिंह सोलंकी चेयरमेन (फेडरेशन ऑफ साउथ एंड वेस्ट डिस्ट्रीक्ट वेलफेयर फोरम, दिल्ली) व राष्ट्रीय अध्यक्ष (राष्ट्रीय युवा चेतना मंच, भारत) ने जब इन रास्तों का जायजा लिया तो लोगो का दर्द फुट फुट कर बाहर आया, लोगो ने बताया यहां बच्चे, बुजुर्ग, महिलाए तथा राहगीर रोजाना घायल होते है, रिक्शे पलट जाते है, दुकानदारों की दुकानदारी खत्म हो गई और वह किराया भी नही भर पा रहे है जिससे उनका व परिवार का पालन पोषण दुर्भर हो गया है इसलिए सोलंकी ने डीजेबी के उपाध्यक्ष, सीईओ, शहरी विकास व जल विभाग मंत्रियों से इसकी जांच की मांग की है जिससे पीड़ित जनता को समाधान मिले। गरीब, बेसहारा, लाचार जनता कहा जाए किससे गुहार लगाए क्योंकि वही बात हो गई है कि केंद्र और दिल्ली सरकार की वर्चस्व की लड़ाई में अधिकारी भए थानेदार अब रपट कौन लिखे।

लोगो ने पूछा जब हम अपना 1 रुपया भी किसी को देते है तो जब तक हमारा काम न हो जाए पीछा नहीं छोड़ते वही डीजेबी ने लाखो रुपए दे कभी सुध नहीं ली की काम हुआ की नही इसलिए दोनो विभागो के अधिकारियों की मिलीभगत है जिसकी एसीबी/विजिलेंस जांच होनी चाहिए और हमे जल्द से जल्द समाधान मिलना चाहिए।