सियाचिन में जवानों ने मनाया Independence Day, जानें कितना खतरनाक है ये ग्लेशियर
भारतीय सेना के जवान काफी दुर्गम स्थानों पर अपनी जान जोखिम में रखकर सेना पर तैनात रहते हैं. ये जवान सियाचिन, जहां तापमान माइनस में रहता है, वहां मुश्किल वक्त में रहते हैं और देश की सेवा करते हैं. दुनिया के इस सबसे ऊंचे युद्ध मैदान में जाना हर किसी के बस की बात नहीं.दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र (Highest Battlefield of the world) सियाचिन में सेना के जवानों (Indian Army) ने तिरंगा फहराकर स्वतंत्रता दिवस मनाया. दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र कहा जाने वाला सियाचिन ग्लेशियर साल 1984 से भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवादित क्षेत्र है. भारतीय सेना के जवान काफी दुर्गम स्थानों पर अपनी जान जोखिम में रखकर सेना पर तैनात रहते हैं. ये जवान सियाचिन, जहां तापमान माइनस में रहता है, वहां मुश्किल वक्त में रहते हैं काराकोरम पर्वत श्रृंखला में लगभग 20 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन मोर्चे को दुनिया के अनोखे युद्धक्षेत्रों में से एक माना जाता है. पाकिस्तान और भारतीय सेनाएं यहां 35 वर्षों से भी अधिक समय से आमने-सामने हैं.
भारत सरकार सियाचिन पर मौजूद जवानों हर दिन करीब 5 करोड़ रुपये खर्च करती है. इसमें सैनिकों की वर्दी, जूते और स्लीपिंग बैग्स भी शामिल होते हैं.