जानते हो...?
जानती हूँ प्यार,और परवाह माँगा नहीं जाता। कमाना होता है। पर पूरी मजदूरी के बाद भी मेहनताना ना मिले तो कमाने वाले को क्या दोष देंगे...
नहीं ना..?
कुछ चीज़ें नसीबों के हाथ होती है।
जानते हो...?
तुम्हारा यूँ होना खलता है मुझे...
जानती हूँ प्यार,और परवाह माँगा नहीं जाता। कमाना होता है। पर पूरी मजदूरी के बाद भी मेहनताना ना मिले तो कमाने वाले को क्या दोष देंगे...
नहीं ना..?
कुछ चीज़ें नसीबों के हाथ होती है।
जानते हो...?
तुम्हारा यूँ होना खलता है मुझे...