देश का असली हीरो अंग्रेजी हुकूमत से लड़कर देश आजाद कराने में आगे रहे और बन गए इतिहास पुरुष

in #up2 years ago

आजादी की जंग में ब्रिटिश हकूमत की जड़ें हिलाने के बाद आजाद भारत में किसानों के लिए अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले महान क्रांतिकारी नेता व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित विश्वम्भर दयालु त्रिपाठी उन्नाव जनपद के कस्बा बांगरमऊ के मूल निवासी थे 5अक्टूबर 1899 को जन्म लेने के बाद 18 नवम्बर 1959 यह बीर सपूत पंचतत्व में विलीन हो गया।किंतु उनके व्यक्तित्व व कृतित्व के प्रति आज भी लोग उन्हें याद करते है किंतु उनके निज निवास के नाम पर बांगरमऊ में एक टीला ही अवशेष है जो धीरे धीरे अतिक्रमण की भेंट चढ़ता दिख रहा है।
बांगरमऊ नगर में जन्मे पंडित विश्वंभर दयाल त्रिपाठी ने प्रारभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद एम ए (इतिहास) व एल एल बी ( गोल्ड मेडल)के साथ सानदार तरीके से अध्यन किया किंतु देश की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने बीच में पढ़ाई रोक दी तथा असहयोग आंदोलन में कूद पड़े बाद में जब असहयोग आंदोलन निलंबित कर दिया गया तो 1924 में पुनः पढ़ाई कर अपनी डिग्री प्राप्त की 1926 में दो डिग्री पूरी करने के बाद उन्हें प्राचीन भारतीय इतिहास में शोध करने के लिए फेलोशिप से सम्मानित किया गया।तथा 1926 में वह वह उन्नाव बार में शामिल हुए।1930 में वह नमक उत्पादन पर कर लगाने के ब्रिटिश फैसले के खिलाफ आंदोलन में शामिल हुए जिससे उन्हें जेल में डाल दिया गया जिसके बाद 1932 में जेल से छूटने के बाद वह संयुक्त प्रांत के तानाशाह(भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में संगठनात्मक पद)पर आसीन हुए जिससे 1932 में ही 2 जुलाई को उन्हे पुनः गिरफ्तार कर 2 वर्ष की सजा सुनाते हुए जेल में डाल दिया गया।रिहाई के बाद उन्होंने एक किसान संगठन की स्थापना की।जिसके बाद 19अप्रैल 1942 को उन्हे छोटे भाई बाल गंगाधर त्रिपाठी के साथ गिरफ्तार कर लिया गया जिससे 2दिसंबर 1945 तक वह फतेहगढ़ की सेंट्रल जेल में रहे।विश्वंभर दयाल त्रिपाठी स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे थे उनके पास अपने राजनीतिक कार्य के लिए सात सजाओ का रिकार्ड था।1921 में वह पहली बार प्रांतीय कांग्रेस समित के सदस्य बने 1921 से 1926 तक वे उन्नाव जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव रहे और फिर इसके अध्यक्ष बने वह अखिल भारतीय कांग्रेस समित के सदस्य भी थे।जब सुभाष चंद बोस ने 1939में फारवर्ड ब्लाक बनाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया तब सुभाष चंद बोस इसके संस्थापक अध्यक्ष तथा विश्वंभर दयाल त्रिपाठी इसके संस्थापक सचिव थे।इसके अलावा एक आयोग अध्यक्ष जिसे दीपो पर विकास की संभावना का आंकलन करने के लिए अंडमान और निकोबार भेजा गया था,जमीदारी उन्मूलन आयोग के अध्यक्ष,यूपी हाईस्कूल और इंट्रमिडियेट बोर्ड आफ एजुकेशन मान्यता समित के अध्यक्ष, डी एस एन कालेज उन्नाव और कई अन्य शैक्षणिक संस्थानों के संस्थापक रहे। वह सविधान निर्मात्री समित के सदस्य भी रहे।मौजूदा समय बांगरमऊ नगर के बिल्हौर मार्ग पर कल्याणी नदी के किनारे उनकी समाधि बनी हुई है तथा उनके पैतृक आवास के नाम पर महज एक मिट्टी का टीला शेष बचा हुआ है ।IMG-20220806-WA0454.jpg