एमसीडी के मेयरों पर पिछले पांच सालों में व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं पर खर्च का आरोप

in #delhi2 years ago

आम आदमी पार्टी के एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि भाजपा शासित एमसीडी ने पिछले पांच सालों में तीनों मेयरों की व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं पर 270 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। एमसीडी के पास कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए फंड नहीं है लेकिन मेयरों पर खर्च करने के लिए 270 करोड़ हैं। व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं पर नाजायज खर्च करने की बजाय एमसीडी कर्मचारियों को तनख्वाह दी जा सकती थी। अगले एमसीडी चुनाव में दिल्ली वासी भाजपाइयों की जमानत जप्त करेंगे और अपने साथ हुए सभी अत्याचारों का बदला लेंगे।

IMG-20220720-WA0024.jpg

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता, राजेंद्र नगर से विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि जब भी हम भाजपा शासित एमसीडी से पूछते हैं कि शिक्षकों, डॉक्टरों, नर्सेस, सफाई कर्मचारियों को तनख्वाह क्यों नहीं मिलती है, स्कूल और अस्पतालों की हालत इतनी खराब क्यों है, पार्क इतने गंदे क्यों हैं तो उनका एक ही जवाब होता है कि हमारे पास फंड नहीं है। पिछले कई सालों से भाजपा जनता को यकीन दिलाने पर लगी हुई है कि हमारे पास फंड नहीं है इसलिए कोई काम नहीं हो रहा है।

फंड के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा कि आज मैं ऐसी जानकारी साझा करने वाला हूं जो साबित करती है कि फंड नहीं होना, भाजपा का सबसे बड़ा झूठ है। भाजपा के मेयरों ने पिछले 5 सालों में व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं पर 270 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। किस गाड़ी में घूमना है, बच्चे किस गाड़ी से स्कूल जाएंगे, कुत्तों के लिए कौन से खाना लाना है, घर में मनोरंजन की कैसी सुविधा होनी चाहिए, ऐसी चीजों पर 270 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। मैं दिल्ली के सफाई कर्मचारियों, एमसीडी के अस्पतालों के डॉक्टरों, तनख्वाह के नाम पर लाठी खाने वाले शिक्षकों, मालियों और हरदयाल लाइब्रेरी के कर्मचारियों से कहना चाहता हूं कि आपकी तनख्वाह देने के वक्त उनके पास फंड नहीं होता है लेकिन उनके मेयर व्यक्तिगत सुविधाओं के लिए 270 करोड़ रुपए खर्च कर देते हैं। इसके लिए पैसा कहां से आया?
उन्होंने कहा कि एक समय था जब देश की राजनीति में शास्त्री जी का नाम शामिल था। जिन्होंने तय किया कि मेरे घर के लॉन में भी खेती करो लेकिन देश वासियों को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। दूसरी तरफ भाजपा के मेयर हैं जो करोड़ों के मालिक हैं। वह चाहते तो इस प्रकार नाजायज तरीके से सुख सुविधाओं पर 270 करोड़ खर्च नहीं करते। बजाय इसके एमसीडी के कर्मचारियों को तनख्वाह दी जा सकती थी। इससे बड़ा भ्रष्टाचार और अपराध कोई नहीं हो सकता है। दिल्ली के निवासियों से विनती है कि अगले एमसीडी चुनाव में सिर्फ वोट नहीं डालनी है बल्कि एमसीडी की जमानत जप्त कर उनसे बदला लेना है। जिससे पूरे देश में संदेश जाए कि जनता के साथ जो भी अत्याचार करेगा, जनता उसे छोड़ेगी नहीं।