‌‌कभी लहलहाते थे सैंकड़ो वृक्ष, अब विरान बना रास्ता

in #sojat2 years ago

क्षेत्र में पिछले क्ई सालों से देखरेख के अभाव में क्ई विशाल वृक्ष धराशायी हो ग्ए है, ओर जो वृक्ष बचे हुए हे वे अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे है। जिसका सीधा असर क्षेत्र में साल दर साल होने वाली बारिश पर पड़ा है, क्षेत्र में बारिश कम होने से भूजल स्तर में भी भयंकर गिरावट आई है। वही तापमान में निरन्तर वृद्धि हो रही है। एक समय सोजत सिटी से सोजत रोड के बीच का रास्ता घनघोर ओर छायादार वृक्षों से खचाखच भरा हुआ था। सड़क के दोंनों ओर नीम के इतने विशाल वृक्ष मौजूद थे की सूरज की किरणें सड़क को छु नही पाती थी। मात्र दस किलोमीटर लम्बा यह रास्ता मनोरम दृश्यों के साथ साथ पर्यावरण के लिहाज से भी बहुत उपयोगी था। जैसे जैसे समय बितता गया धीरे धीरे देखभाल के अभाव में पेड़ कम होते ग्ए आज यहां पहले की तुलना में बहुत कम वृक्ष बचे है । बचे कुचे जो वृक्ष मौजूद हे उनकी दुर्दशा देखकर यह पता लगाया जा सकता हे कि किसी प्रकार विशाल वृक्षों से भरा यह रास्ता विरान हो गया। वर्तमान हालात की अगर बात करे तो अधिकांश वृक्षों पर दीमक लगी हुई हे जो धीरे धीरे इन वृक्षों को खोखला कर रही है। हालांकि स्टेट हाइवे बनने से पूर्व इस रास्ते पर जगह जगह न्ए पोधे लगाए ग्ए थे लेकिन देखरेख के अभाव में इनमें से ज्यादातर पौधे वृक्ष बनने से पहले ही खत्म हो ग्ए। एसे में समय रहते इन बचे वृक्षों की देखरेख नही की ग्ई तो भविष्य में यहां एक भी वृक्ष नही बचेगा।

दस किमी सड़क पर विशाल वृक्षों का था राज
सोजत सिटी से सोजत रोड आने वाला दस किलोमीटर यह रास्ता कभी विशाल छायादार वृक्षों से लबालब भरा हुआ था। सड़क के दोनों ओर इतने वृक्ष थे की सूरज की रोशनी सड़क को छु तक नही पाती थी।

संरक्षण के अभाव में सूखे पेड़
सोजत सिटी से सोजत रोड आने वाली सड़क पर कभी विशाल वृक्षों का राज था। लेकिन संरक्षण के अभाव में अधिकांश वृक्ष दीमक लगने से सूख कर टूट चुके है। वर्तमान में भी यहां मौजूद अधिकतर वृक्षों पर भारी मात्रा में दीमक लगी हुई हे जो धीरे धीरे इन विशाल वृक्षों को चट कर रही है।

कभी इस सड़क पर बहुत सारे पेड़ थे। बाहर से आने वाले व्यक्ति सड़क के दोनों किनारों पर मौजूद पेड़ देखकर पता लगा लेते थे कि सोजत रोड आने वाला है। लेकिन देखरेख के अभाव में काफी पेड़ धराशायी हो ग्ए है।
लक्ष्मीकांत भाटी
ग्रामीण

पर्यावरण संरक्षण हेतु लोगों को भी आगे आना चाहिए, सभी के मिले जुले प्रयासों से ही यह संभव हो सकता है। सोजत सिटी से रोड के बीच आज भी क्ई विशाल वृक्ष मौजूद हे जिनको समय पर संरक्षण मिल जाए तो ये वापस हरे भरे हो सकते है।
दलपतसिंह राठौड़
समाजसेवी पाचुंडा खुर्दIMG-20220522-WA0007.jpgIMG-20220522-WA0006.jpg